मुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर
जिले में चल रहे राजस्व महाअभियान को लेकर प्रशासन और ग्रामीणों के बीच ज़मीनी हकीकत का अंतर सामने आया है. एक तरफ जहां जिला प्रशासन 10 लाख से अधिक जमाबंदी प्रतियों के वितरण का दावा कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में रैयत अपनी जमाबंदी पाने के लिए परेशान हैं.आंगनबाड़ी केंद्रों पर अटकी प्रतियां
अभियान के तहत जमाबंदी की प्रतियों को घर-घर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस काम की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं को दी गई है. आरोप है कि ये प्रतियां केंद्रों में ही रखी हुई हैं और इनका सही वितरण नहीं हो रहा है, जिससे भूमि मालिक परेशान हैं. औराई के एक ग्रामीण ने बताया, “हमें उम्मीद थी कि सरकारी कर्मचारी घर आकर हमारी जमाबंदी देंगे, लेकिन पता चला कि यह आंगनबाड़ी केंद्र पर रखी है. वहां भी जाने पर ठीक से जवाब नहीं मिल रहा है.प्रशासन का दावा, रैयतों की परेशानी
जिला प्रशासन के अनुसार, अभियान में अब तक कुल 10,84,320 जमाबंदी प्रतियों का वितरण किया जा चुका है. इसके साथ ही, 21 अगस्त से 20 सितंबर तक हल्कावार शिविर भी लगाए जा रहे हैं, जहां रैयत अपनी समस्याओं का समाधान करा सकते हैं.हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि शिविरों की जानकारी का भी अभाव है. एक तरफ जहां सरकार इस अभियान को जमीन से जुड़े विवादों को खत्म करने का एक महत्वपूर्ण कदम मान रही है, वहीं दूसरी तरफ वितरण व्यवस्था की खामियां इस पूरे प्रयास पर सवाल खड़े कर रही हैं.जबकि जिलाधिकारी ने अंचल अधिकारी से लेकर डीसीएलआर और एसडीओ को शिविरों की प्रभावी निगरानी करने का निर्देश दिया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

