रांची. रिम्स के आर्थोपेडिक वार्ड और पेइंग बिल्डिंग में संचालित कैंटीन का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है. यह कार्रवाई फूड सेफ्टी ऑफिसर द्वारा की गयी है. लाइसेंस रद्द होने की जानकारी के बाद रिम्स प्रशासन ने कैंटीन का आवंटन भी रद्द कर दिया है. जानकारी के अनुसार कैंटीन से लिया गया सैंपल फेल हो गया था. इसके बाद यह कार्रवाई की गयी. स्वच्छता के मानकों में भी कई कमियां पायी गयी हैं. गौरतलब है कि 21 अगस्त की रात करीब 11 बजे कैंटीन से एक छात्रा ने चाय मंगाकर पी थी. इसके बाद अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गयी. गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे तुरंत रिम्स में भर्ती कराया गया, जहां क्रिटिकल आइसीयू में वेंटिलेटर पर उसका इलाज चला था. इधर, फूड सेफ्टी ऑफिसर ने दोनों कैंटीन के खाद्य पदार्थों की जांच के लिये सैंपल लिया था. इसी की जांच रिपोर्ट आयी है. हालांकि मामले के तत्काल बाद रिम्स प्रशासन के आग्रह पर बरियातू पुलिस ने दोनों कैंटीन को सील कर दिया था.
सीनियर डॉक्टर के 316 पद स्वीकृत, 161 कार्यरत पर 155 की कमी
रांची. रिम्स प्रशासन ने सीनियर और जूनियर डॉक्टरों की भारी कमी की जानकारी हाइकोर्ट को दे दी है. कोर्ट को बताया गया कि प्रोफेसर, एडिशनल प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के स्वीकृत पदों की तुलना में कार्यरत डॉक्टरों की संख्या काफी कम है. प्रोफेसर के 44 स्वीकृत पदों में सिर्फ छह कार्यरत हैं, जबकि 38 पद खाली हैं. एडिशनल प्रोफेसर के 10 पदों में एक कार्यरत है और नौ पद रिक्त हैं. एसोसिएट प्रोफेसर के 95 पदों में 37 कार्यरत हैं और 58 खाली हैं. असिस्टेंट प्रोफेसर के 167 स्वीकृत पदों में 117 कार्यरत हैं, जबकि 50 पदों पर अभी भी डॉक्टरों की कमी है. हाइकोर्ट को यह भी बताया गया कि सीनियर रेजिडेंट और ट्यूटर के 307 स्वीकृत पदों में 145 कार्यरत हैं, जबकि 162 पद खाली हैं. नॉन एकेडमिक फैकल्टी के लिए 24 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 19 कार्यरत हैं और पांच पदों पर डॉक्टरों की कमी है. नॉन एकेडमिक पदों पर पेइंग वार्ड (जीडीएमओ), ट्रॉमा सेंटर (जीडीएमओ) और मेडिकल ऑफिसर की नियुक्ति की जानी है. डेंटल कॉलेज में भी वर्तमान फैकल्टी के तहत चार दंत चिकित्सकों की कमी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

