भभुआ नगर. शिक्षा विभाग की पहल है कि जिले के सरकारी विद्यालय निजी विद्यालयों के तर्ज पर दिखे. छात्रों को बैठने से लेकर पठन-पठान पेयजल के सुविधा के साथ-साथ शौचालय की भी व्यवस्था विद्यालय में उपलब्ध हो. इसके लिए सरकार करोड़ों रपये प्रत्येक वर्ष खर्च कर रही है. इतना ही नहीं, बीते वर्ष जिले में विद्यालय भवन की मरम्मत से लेकर रंगाई-पुताई करायी गयी. विद्यालय में शौचालय निर्माण सहित विद्यालय मे बेंच-डेस्क सप्लाइ पर लगभग 50 करोड़ से अधिक राशि खर्च की गयी. फिर भी जिले में विद्यालयों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ. आज भी जिले के कई विद्यालय के छात्र-छात्राएं व गरुजी शौच के लिए बाहर जाते हैं, तो कई विद्यालय भवन में छत से पानी टपक रहा है. उदाहरण स्वरूप देखा जाए, तो इसी तरह के समस्या से जूझ रहा जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर व भगवानपुर प्रखंड क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय शाहपुर है. जहां आज भी वर्ग कक्ष के कमी के कारण एक वर्ग कक्ष मे 50 से 60 छात्र छात्राएं बैठकर पढ़ाई करते हैं. जबकि, एक कक्ष में 40 बच्चे तक बैठाने का प्रावधान है. छात्र-छात्राएं एव शिक्षक शिक्षिका को मैदानी भाग में जाना पड़ता है. इतना ही नहीं आज भी वर्ग एक व दो के नन्हे मुन्ने छात्र-छात्राएं फर्श पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. जाड़े हो या बरसात विद्यालय मे एक शौचालय बना हुआ है. वह भी जर्जर स्थिति में है. शौच करते समय कभी भी एक बड़ी दुर्घटना हो सकती है. किचन शेड से भी टपकता है पानी गौरतलब है कि जिले के विद्यालयों में स्थित किचन शेड मरम्मत पर लाखों रुपयै खर्च किये गये हैं. लेकिन, प्राथमिक विद्यालय शाहपुर में किचन शेड में भोजन बनाना मुश्किल है. बरसात के दिनो में पूरी बारिश की पानी किचन शेड के अंदर आ जाता है. जिसके कारण खाना बनाना मुश्किल होता है. क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक प्रधानाध्यापक रविशंकर तिवारी ने कहा कि विद्यालय में भवन की संख्या कम रहने के करण एक वर्ग कक्ष मे 50 से 60 छात्र छात्राएं बैठकर पढ़ाई करते हैं, तो वहीं विद्यालय में शौचलय नहीं रहने के कारण छात्र छात्राएं सहित विद्यालय में कार्यरत नौ शिक्षिका व शिक्षक को भी खेतों की ओर जाना पड़ता है. साथ ही कहा विद्यालय में व्याप्त समस्या के निदान के लिए पत्र के माध्यम से विभाग को सूचित कर दिया हूं. क्या कहते हैं अधिकारी इधर इस संबंध मे पूछे जाने पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी समग्र शिक्षा अभियान विकास कुमार डीएन ने कहां कि छात्र अनुपात के अनुसार भवन की संख्या कम है तो अतिरिक्त वर्ग कक्ष निर्माण के लिए विभाग को पत्र लिखा जायेगा.
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