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जूनियर डॉक्टरों ने की हड़ताल, बढ़ाकर स्टाइपेंड मांगा

दीपक 15 से 18

चार साल से नहीं हुई वृद्धि, गुजारा करने में हो रही दिक्कत

संवाददाता, मुजफ्फरपुर

श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टरों ने स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग

दीपक 15 से 18

चार साल से नहीं हुई वृद्धि, गुजारा करने में हो रही दिक्कत

संवाददाता, मुजफ्फरपुर

श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टरों ने स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग करते हुए हड़ताल शुरू की. डॉक्टरों का कहना है कि पिछले चार वर्षों से कोई वृद्धि नहीं हुई है. इससे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. अन्य राज्यों के मुकाबले बिहार में स्टाइपेंड बेहद कम है. बताया कि बिहार में 20 हजार मिलता है वहीं अन्य राज्यों में में यह 40 हजार से अधिक है. डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कई बार स्वास्थ्य मंत्रालय को ज्ञापन सौंपा, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ और नहीं किया गया.

किराया, किताबें, खानपान कैसे करें

मैनेज

पीजी छात्र डॉ अश्मित ने बताया, हम लोग दिन-रात मरीजों की सेवा में रहते हैं. ओपीडी से लेकर इमरजेंसी तक में ड्यूटी करते हैं, लेकिन इतना कम स्टाइपेंड दिया जाता है, कि दिक्कत होती है. किराया, किताबें, खानपान व अन्य खर्चे में खासी परेशानी आती है. जूनियर डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर जल्द कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया, तो वे बेमियादी हड़ताल कर सकते हैं.

हड़ताली डॉक्टरों का कहना है कि वे किसी भी सूरत में अब बिना ठोस निर्णय के काम पर नहीं लौटेंगे. उनका आग्रह है कि सरकार शीघ्र ही अन्य राज्यों की तर्ज पर स्टाइपेंड में वृद्धि करें ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें और पूरी तन्मयता से मरीजों की सेवा में लगे रहें.

लौटे दो हजार से अधिक मरीज

एसकेएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का असर मंगलवार को भी देखने को मिला. ओपीडी में इलाज के लिए आए मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. डॉक्टरों की गैरमौजूदगी के कारण करीब दो हजार से अधिक मरीज बिना इलाज कराये लौट गये. अस्पताल परिसर में सुबह से ही लंबी कतारें लगी रहीं, लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल के चलते अधिकांश विभागों में इलाज ठप रहा. मरीजों व परिजनों में नाराजगी दिखी. अस्पताल प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था का दावा किया, लेकिन मरीजों को राहत नहीं मिल सकी.

हड़ताल की मार: ओपीडी सेवा ठप

मासूम के पैर में नहीं हो सका प्लास्टर

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का सीधा असर मरीजों पर पड़ा. ओपीडी सेवा बाधित रहने से चार साल के कार्तिक कुमार के पैर में समय पर प्लास्टर नहीं हो सका. उसकी मां शोभा देवी ने बताया कि उनके बेटे का पैर खेलते समय टूट गया था. इलाज के लिए वे सुबह से अस्पताल में घंटों बैठी रही लेकिन उन्हें बिना इलाज के लौटना पड़ा. रुंधे गले से कहा, बच्चा रो रहा है, दर्द से तड़प रहा है, लेकिन कोई सुननेवाला नहीं है.

हड़ताल टूटने का इंतजार करते रहे मरीज

एसकेएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल दिन भर जारी रही, इसने ओपीडी सेवा बाधित की. इलाज कराने आये सैकड़ों लोग कई घंटे अस्पताल परिसर में बैठे रहे, लेकिन उन्हें निराश होना पड़ा. मरीज सुबह से शाम तक डॉक्टरों के लौटने का इंतजार करते रहे. सीवान से आयी 65 साल की विमला देवी के परिजन ने कहा, सोचा था पटना जाने से पहले यहां दिखा लेंगे, लेकिन कोई डॉक्टर बैठा ही नहीं है.

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एसकेएमसीएच के अधीक्षक सतीश कुमार ने बताया कि अस्पताल प्रशासन मरीजों को किसी भी तरह की असुविधा से बचाने की कोशिश कर रहा है. हालांकि हड़ताल के कारण ओपीडी सेवाओं पर असर पड़ा है और कई मरीजों को बगैर इलाज कराये लौटना पड़ा.

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