विधानसभा सत्र के दौरान सरकार से एससी-एसटी के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए कड़े कानून बनाने की मांग
Jamshedpur News :
झारखंड विधानसभा का सत्र सोमवार से प्रारंभ हो रहा है, जो तीन मार्च तक चलेगा. इस दौरान राज्य सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा कर सकती है. सबसे प्रमुख मुद्दा राज्य के आगामी बजट का भी होगा, जिसमें सरकार वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए योजनाएं और आवंटन प्रस्तुत करेगी. यह बजट राज्य के विकास, रोजगार सृजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और ग्रामीण विकास पर केंद्रित हो सकता है. इसके अतिरिक्त, राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति और बढ़ती अपराध दर भी मुख्य मुद्दा हो सकता है, जिसमें सरकार पुलिस सुधारों और सुरक्षा बढ़ाने के उपायों पर विधेयक पेश कर सकती है. आदिवासी और अनुसूचित जनजाति समुदायों के अधिकारों को लेकर भी चर्चा हो सकती है, विशेषकर भूमि अधिग्रहण और रोजगार के मुद्दे पर. इसके साथ ही, नक्सलवाद और राज्य के पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए सरकार द्वारा नये कदम उठाये जा सकते हैं. जल, जंगल और जमीन जैसे पर्यावरणीय मुद्दों पर भी विधेयकों को प्रस्तुत किया जा सकता है. इस सत्र में जनहित से जुड़े कई अन्य मुद्दों पर भी गंभीर चर्चा हो सकती है. बजट सत्र को लेकर प्रमुखजनों से प्रभात खबर ने बातचीत की. प्रस्तुत हैं उसके कुछ अंश. पेसा कानून-1996 पर आदिवासी विधायक अपनी आवाज बुलंद करें : डेमका सोयराज्य सरकार को अविलंब पेसा कानून-1996 लागू करना चाहिए, ताकि झारखंड के आदिवासी समुदाय को उनका अधिकार मिल सके. आदिवासी विधायकों को चाहिए कि वे इस कानून को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए अपनी आवाज बुलंद करें और इसे धरातल पर उतारने के लिए कड़ी मेहनत करें, ताकि आदिवासी समाज का सर्वांगीण विकास हो सके.
डेमका सोय, झारखंड आंदोलनकारी………………….दखल-दिहानी दिलाने के लिए ठोस व्यवस्था बने : रायमूल बानराराज्य में हजारों आदिवासियों ने न्यायालय में जमीन विवाद पर जीत हासिल की, लेकिन अब भी उन्हें अपनी जमीन पर अधिकार नहीं मिला है. वे दस्तावेज लेकर रोज प्रशासनिक कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं. सरकार को चाहिए कि इस समस्या के समाधान के लिए ठोस व्यवस्था बनायें, ताकि आदिवासी परिवारों को उनका हक जल्द मिले और न्यायिक आदेश का पालन हो.
रायमूल बानरा, अध्यक्ष, आदिवासी हो समाज…………………………राज्य सरकार को ग्रामीण विकास पर ध्यान देना चाहिए : इंदर हेंब्रमझारखंड में एयरपोर्ट बनाने की योजना तो है, लेकिन सुदूर गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा की बड़ी कमी बनी हुई है. हॉस्पिटल, स्कूल और कॉलेज की संख्या बढ़ाने के साथ शिक्षकों की कमी दूर करना जरूरी है. विधायकों को इन बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए, ताकि ग्रामीण क्षेत्र विकास की मुख्यधारा से जुड़ सके.
इंदर हेंब्रम, संयोजक, आदिवासी छात्र एकता…………………………………सांस्कृतिक विकास के लिए भाषा व साहित्य अकादमी जरूरी : गौतम बोसराज्य बनने के बाद यहां भाषा, साहित्य, ललित और नाटक अकादमी का गठन जरूरी था, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई. यह सांस्कृतिक विकास के लिए आवश्यक है. सरकार को इस दिशा में जल्द कदम उठाना चाहिए, ताकि स्थानीय भाषा, साहित्य और कला को संरक्षित व प्रोत्साहित किया जा सके, जिससे राज्य की सांस्कृतिक पहचान मजबूत हो.गौतम बोस, झारखंड आंदोलनकारी………………………….पूर्व में बने लैंड बैंक रद्द हो : मदन मोहन सोरेनपूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में गैर मजरुआ और गोचर जमीन को लैंड बैंक में शामिल किया गया था, जो गांववासियों के लिए जनोपयोगी भूमि है. इसे रद्द किया जाना चाहिए, क्योंकि इस पर ग्रामवासियों का मूल अधिकार है. सरकार को ग्रामीण हितों को प्राथमिकता देकर इस जमीन को वापस गांवों के उपयोग में लाना चाहिए.
मदन मोहन सोरेन, आदिवासी आंदोलनकारी नेता…………………………पेसा कानून-1996 को झारखंड में जल्द लागू किया जाये : रमेश हांसदापेसा कानून-1996 को झारखंड में जल्द लागू किया जाना चाहिए, ताकि आदिवासी समुदायों को उनका अधिकार मिल सके. साथ ही, संताली भाषा की ओलचिकी लिपि और हो भाषा की बारंग क्षिति लिपि में केजी से पीजी तक पढ़ाई सुनिश्चित की जाये. इसके लिए शिक्षकों की बहाली जरूरी है, जिससे मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा मिले.-रमेश हांसदा, अध्यक्ष आदिवासी सुरक्षा परिषद सह भाजपा नेता………………………………..झारखंड सरकार अविलंब टीएसी का गठन करे : विजय कुजूरझारखंड सरकार को जल्द आदिवासी जनजातीय परिषद (टीएसी) का गठन करना चाहिए. भूमि अधिग्रहण पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन नियम 2015 में संशोधन कर ग्राम सभा के 33 प्रतिशत कोरम को समाप्त कर, भू-अर्जन से पहले ग्राम सभा की सर्वसम्मति अनिवार्य की जाये. साथ ही, लैंड बैंक कानून रद्द कर आदिवासियों के भूमि अधिकार सुरक्षित किये जायें.
-विजय कुजूर, आदिवासी बुद्धिजीवी……………………………घोषणा पत्र के वादे पूरा करे : प्रो सोमनाथ पाड़ेयाआदिवासी समाज को विधानसभा सत्र से अबुआ सरकार से बड़ी अपेक्षाएं है. सरकार को अपने घोषणा पत्र के वादे पूरे करने चाहिए, विशेष रूप से भूमि बैंक नीति रद्द करना, पेसा कानून 1996 को पूर्ण रूप से लागू कर नियमावली बनाना और भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून 2018 को रद्द करना शामिल है. साथ ही, शिक्षा व स्वास्थ्य बजट बढ़ाकर नए मेडिकल कॉलेज और प्रखंड स्तरीय अस्पताल खोले जायें.
-प्रो सोमनाथ पाड़ेया, शिक्षाविद…………………………..पेसा नियमावली तुरंत लागू हो : कृष्णा हांसदाहेमंत सोरेन सरकार को झारखंड में वर्षों से न्याय, विकास और राजनीतिक-सामाजिक रूप से उपेक्षित समुदायों को आगे बढ़ाने के लिए पेसा नियमावली तुरंत लागू करनी चाहिए. ताकि आदिवासियों और स्थानीय समुदायों के भूमि अधिकार सुरक्षित रह सके और न्याय सुनिश्चित हो.कृष्णा हांसदा, प्रदेश महासचिव, भारत आदिवासी पार्टी
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