ठंड में वायरस और बैक्टीरियल निमोनिया से पीड़ित होते हैं बच्चेविश्व निमोनिया दिवस पर विशेष उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर जिले में पिछले पांच वर्षों से हर साल करीब 18 हजार बच्चे निमोनिया से पीड़ित हो रहे हैं. अक्सर सर्दी के मौसम में बच्चे इस बीमारी का शिकार होते हैं. जिले में पांच वर्ष तक के बच्चों की संख्या करीब नौ लाख है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार जिले में निमोनिया से पीड़ित होने वाले बच्चों की संख्या 2.1 फीसदी है इस बीमारी से बचाव के लिये राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के तहत बच्चों को पीसीबी का टीका दिया जा रहा है, इसका अनुपात 71 फीसदी है. यह बीमारी बच्चों को वायरस और बैक्टीरियल संक्रमण से होता है. जिससे फेफड़े में सूजन हो जाती है. इसी वर्ष जनवरी में एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में निमोनिया से पीड़ित 70 बच्चे भरती किये गये थे. ठंड भर बच्चोंं में इस बीमारी का खतरा बना रहता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट गे अनुसार देश में प्रतिवर्ष पांच वर्ष से कम आयु के लगभग 13 लाख बच्चों की जान केवल निमोनिया के कारण चली जाती है, जो कुल होने वाली मौत का करीब 18 प्रतिशत है. केंद्र सरकार बचाव के लिए चला रही कार्यक्रम केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मत्रालय ने निमाेनिया से बचाव के लिए कार्यक्रम सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रालाइज निमोनिया सक्सेफुली चला रही है. इसका उद्देश्य निमोनिया से होने वाली मौतों को रोकना है. यह बीमारी पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सबसे बड़ा संक्रामक खतरा है. अभियान का मुख्य उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, रोकथाम को मजबूत करना और उपचार को सुलभ बनाना है. यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का हिस्सा है. इस अभियान के तहत इस वर्ष तक प्रति 1000 बच्चों पर निमोनिया से मौतों को 5.3 से घटाकर तीन फीसदी करना है. स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार हर वर्ष देश में 1.4 लाख बच्चे निमोनिया से मरते हैं, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है. चार तरह की निमोनिया से बच्चे होते हैं पीड़ित जिले में मुख्य रूप से पांच तरह के निमोनिया से बच्चे पीड़ित होते हैं. बैक्टीरियल निमोनिया कमजोर प्रतिरक्षण और कुपोषित बच्चों का खतरा अधिक होता है. फ्लू वायरस से बच्चों को वायरस जनित निमोनिया, किसी तरह के भोजन, तरल पदार्थ, गैस या धूल से एसपीरेशन और फंगल निमोनिया होता है. इससे बचाव के लिए दो साल से कम आयु के बच्चों और दो से पांच साल के बच्चों को अलग-अलग निमोनिया के टीके लेने चाहिए. स्वस्थ व संतुलित जीवन शैली व सफाई का ध्यान रख निमोनिया से बचा जा सकता है. बच्चों के लक्षणों से समझे, बीमारी का खतरा निमाेनिया से पीड़ित होने वाले बच्चों कंपकपी वाला बुखार, सांस लेने में तकलीफ या तेजी से सांस चलना, सीने में दर्द या बेचैनी, भूख कम लगना, खांसी में खून आना, रक्तचाप घटना और जी मचलना और उल्टी होना प्रमुख है. इस तरह के लक्षण होने पर अभिभावकों को डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए. ठंड के मौसम में बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देने से बच्चे वायरस या बैक्टीरियल इंफेक्शन की चपेट में आ सकते हैं. बच्चों को जरूर लगवाएं पीसीवी का टीका निमोनिया एक संक्रामक रोग है, जो एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों को मवाद से भरकर उसमें सूजन पैदा करता है. इससे बलगम वाली खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. निमोनिया साधारण से जानलेवा भी हो सकता है. सर्दी के मौसम में शिशुओं को निमोनिया का खतरा अधिक होता है, इसलिए इस मौसम में शिशु को ठंड से बचाना जरूरी है. इससे बचाव के लिए पीसीवी का टीका बच्चे को जरूर लगवाना चाहिए. यह एक संक्रामक रोग है, जो छींकने या खांसने से फैल सकता है. – डॉ राजीव कुमार, शिशु रोग विभागाध्यक्ष, केजरीवाल अस्पताल –
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