बोधगया. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने गुरुवार को गया हवाई अड्डे पर पिछले पुराने इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम को प्रतिस्थापित करते हुए श्रेणी-वन इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आइएलएस) को सफलतापूर्वक प्रचालन में दे दिया है. इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आइएलएस) एक ग्राउंड-आधारित रेडियो नेविगेशन सिस्टम है जो विमान को एप्रोच और लैंडिंग के दौरान मार्गदर्शन करता है. खासकर कम दृश्यता और प्रतिकूल मौसम की स्थिति में यह ज्यादा कारगर होता है. लोकलाइजर, ग्लाइड पथ और दूरी मापक उपकरण (डीएमइ) आइएलएस के तीन प्रमुख घटक हैं. लोकलाइज़र : लोकलाइजर विमान के उतरने के दौरान पायलट को रनवे की मध्य रेखा की ओर मार्गदर्शन प्रदान करता है. ग्लाइड स्लोप: ग्लाइड पाथ विमान लैंडिंग के दौरान पायलटों को ऊर्ध्वाधर मार्गदर्शन प्रदान करता है, जिससे उन्हें सही कोण पर रनवे पर उतरने में मदद मिलती है. दूरी मापने वाला उपकरण (डीएमई) : यह विमान को रनवे पर उतरने के स्थान से विमान को तिरछी दूरी प्रदान करता है. कमीशनिंग में 8.69 करोड़ रुपये हुए खर्च गया एयरपोर्ट पर आइएलएस की स्थापना और कमीशनिंग में कुल 8.69 करोड़ रुपये खर्च हुए. इस परियोजना में लोकलाइजर, ग्लाइड-पाथ और डीएमइ उपकरण की स्थापना शामिल थी, जिसमें फ्रैंजिबल उपकरण शेल्टर बिल्डिंग के साथ-साथ एंटेना की स्थापना, लोकलाइजर और ग्लाइड-पाथ एंटेना के सामने ग्राउंड प्रोफाइल की ग्रेडिंग, फ्लाइट कैलिब्रेशन, वाणिज्यिक उड़ान द्वारा फ्लाइट-ट्रायल और डीजीसीए से अनुमोदन प्राप्त करना शामिल था. गया एयरपोर्ट डायरेक्टर बंगजीत साहा ने बताया कि नया सटीक रेडियो नेविगेशन सिस्टम गया हवाई अड्डे पर रात में और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के दौरान भी विमानों को लैंडिंग करने में सक्षम बनाकर सुरक्षा को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ायेगा. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा किया गया यह प्रमुख विकास गया हवाई अड्डे पर उड़ान संचालन को बढ़ाने, मजबूत कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और पूरे क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार है.
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