अभिनव साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में आरसीएम वंडर वर्ल्ड के सभागार में गिरिडीह के लेखक डॉ छोटू प्रसाद चंद्रप्रभ लिखित आत्मकथात्मक पुस्तक“जिंदगी फिर से लिखने का मन’ का रविवार को लोकार्पण किया गया. लोकार्पण मुख्य व विशिष्ट अतिथि सेवानिवृत्त शिक्षक तुलसी महतो, रेडक्रॉस के चेयरमैन अरविंद कुमार, गिरिडीह कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अनुज कुमार, खोरठा साहित्यकार डॉ महेंद्रनाथ गोस्वामी सुधाकर, गिरिडीह कॉलेज की प्रोफेसर श्वेता, लेखक डॉ छोटू प्रसाद चंद्रप्रभ, साहित्यकार सुनील मंथन शर्मा, अधिवक्ता संजय कुमार, नाटककार प्रदीप गुप्ता, कवि नवीन सिन्हा आदि ने संयुक्त रूप से किया. उसके बाद स्वागत भाषण अनंत प्रिया ने दिया. सुनील मंथन शर्मा के संचालन में पुस्तक के साथ साहित्य- जीवनदर्शन एवं मार्गदर्शन विषय पर परिचर्चा की गई.
डॉ चंद्रप्रभ की सातवीं पुस्तक है यह
लेखक डॉ छोटू प्रसाद चंद्रप्रभ ने अपने वक्तव्य में बताया कि ””””ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन”””” मेरी सातवीं पुस्तक है. कहा कि समस्याएं ही साहित्य को जन्म देती हैं. आज जीवित रहना मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या है. मनुष्य जीवित रहने के लिए संघर्ष करता है. संघर्ष से जब सुख घर में आता है तो सेहत रूठ जाती है. जीवन एक अधूरी किताब की तरह है, जिसमें कई बार गलतियां रह जाती हैं. अधूरे सपने और अधूरे अध्याय रह जाते हैं. इसी को आगे बढ़ाने की भावना जागृत हो जाती है. यह पुस्तक इसी भावना का प्रतीक है. अतिथि तुलसी महतो ने कहा कि पुस्तक में लेखक का संघर्ष तो दिखता ही है, उससे निपटने का समाधान भी दिखता है. प्रो. अनुज कुमार ने आत्मकथात्म कृतियों पर अपने विचार व्यक्त किये. रेडक्रॉस के चेयरमैन अरविंद कुमार ने कहा कि पुस्तक के प्रति लोगों को अपनी रुचि जागृत करनी चाहिए. डॉ महेंद्रनाथ गोस्वामी सुधाकर ने कहा कि जिसमें मानव समाज का हित अंतर्निहित हो, वही सत्साहित्य है. इनके अलावा प्रो. श्वेता, नवीन सिन्हा, संजय कुमार, प्रदीप गुप्ता आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए. धन्यवाद ज्ञापन अनंत शक्ति ने किया. मौके पर महेंद्र शर्मा, रेखा देवी, निशा अनंत, संगीता वर्मा, सर्वदा, अद्वैत आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

