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गिद्धौर के स्कूलपर टोला में नहीं पहुंची विकास की रोशनी

प्रखंड के बारीसाखी पंचायत अंतर्गत नयाखाप गांव के स्कूलपर टोला के लोग सड़क समेत बुनियादी सुविधाओं को लेकर तरस रहे हैं.

गिद्धौर. प्रखंड के बारीसाखी पंचायत अंतर्गत नयाखाप गांव के स्कूलपर टोला के लोग सड़क समेत बुनियादी सुविधाओं को लेकर तरस रहे हैं. इस टोला में पेयजल समेत स्वास्थ्य की सुविधा नहीं है. शुक्रवार को टोला के ग्रामीणों ने प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम के दौरान अपनी समस्याएं रखी. ग्रामीणों के अनुसार गांव आने-जाने के लिए सड़क नहीं है. कीचड़युक्त कच्ची सड़क से होकर उन्हें आवागमन करना पड़ रहा है. टोला में एक भी जलमीनार नहीं है. लोग कुएं व चापानल के पानी से प्यास बुझाने के विवश हैं. बरसात के दिनों में कुएं का पानी दूषित हो चुका है. ऐसे में दूषित पानी पीने से संक्रमण का खतरा बना रहता है. टोला से ढाई किमी की दूरी पर स्वास्थ्य केंद्र है, जहां किसी तह ग्रामीण अपना इलाज कराते हैं. 30 घरों के इस टोले में करीब 150 लोग निवास करते है. ज्यादातर ग्रामीण कृषि पर ही आश्रित है. मुख्य फसल धान व मकई की खेती करते हैं. कीचड़ से होकर करना पड़ता है आवागमन: मुकेश गांव मुकेश यादव ने कहा कि सड़क के अभाव में खेतों के मेढ़ से वह आना-जाना करते हैं. बरसात के दिनों में कीचड़ से होकर आवागमन करना पड़ता है. कच्ची सड़क में फिसलन के कारण हमेशा गिरने का डर बना रहता है. स्कूल जानेवाले बच्चों का ड्रेस गंदा हो जाता है. विकास के नाम पर गांव में अब तक कुछ नहीं हुआ है. दो दशक से सड़क की नहीं हुई है मरम्मत: नगीना गांव के नगीना यादव ने कहा कि वर्ष 2007-08 में मनरेगा से मिट्टी मोरम की सड़क बनायी गयी थी. सड़क कुछ साल बाद बारिश में बह गयी है. इसके बाद से आज तक मरम्मत नहीं करायी गयी है. सड़क नहीं बनने से सबसे अधिक परेशानी छात्रों को होती है. किसानों को भी बाजार जाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. जनप्रतिनिधियों ने कभी नहीं बरती गंभीरता: बैजनाथ ग्रामीण बैजनाथ यादव के अनुसार जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण सड़क नहीं बन पायी है. कई बार सड़क बनाने की मांग सांसद, विधायक व पदाधिकारियों से की गयी है, लेकिन किसी ने गंभीरता नहीं बरती. ग्रामीणों को बरसात के दिनों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कोई सुननेवाला नहीं है. गर्मी में समस्याओं का करना पड़ता है सामना: नागेश्वर ग्रामीण नागेश्वर यादव ने कहा कि टोला में एक भी जलमीनार नहीं लगा है. कुआं का गंदा पानी पीकर प्यास बुझा रहे हैं. परिवार को सर्दी, खांसी जैसी बीमारियों से जूझना पड़ता है. गर्मी के दिनों में कुआं सूख जाता है. ऐसे मेन दूर-दराज से पानी लाना पड़ता है. गांव के लोग विकास के लिए तरस रहे हैं. किसी का ध्यान नहीं है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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