मधुपुर. शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में वट-सावित्री की पूजा पूरी आस्था व श्रद्धा के साथ मनायी गयी. सुहागिन महिलाओं ने नये वस्त्र पहनकर बांस का पंखा, पांच प्रकार के पकवान, मौसमी फल, अरवा चावल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फल, धूप से वट-वृक्ष की पूजा कर अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना की, साथ ही अपने अखंड सुहाग के लिए वृक्ष में धागा भी बांधा. वहीं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर पति की दीर्घायु के लिए आशीर्वाद लिया. कथा के अनुसार सावित्री अपने पति सत्यवान की लंबी आयु के लिए बरगद पेड़ की पूजा करती है, जिससे अपने पति की मृत्यु के बाद भी उसे वापस जिंदा करा लिया. सुहागिन महिलाओं की ओर से हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री पूजा के लिए व्रत रखा जाता है. पूजा करा रहे पुरोहित ने बताया कि धर्मशास्त्र में ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रम्हा, तने में भगवान विष्णु व शाखा व पत्तों में भगवान शंकर विराजमान रहते है. सती सावित्री की कथा सुनने व वाचन करने से सौभाग्यवती महिलाओं की अखंड सौभाग्य की कामना पूरी होती है.
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