दरभंगा. लनामिवि की ओर से शिक्षक दिवस पर विवि मुख्यालय के जुबली हाल में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने कहा कि शिक्षक समाज का निर्माता और निर्णायक दोनों की भूमिका निभाता है. राष्ट्र निर्माण और छात्र हित में सदैव तत्पर रहते हुए संस्थान के प्रति निष्ठापूर्ण कर्म ही हमारा धर्म है. कुलपति ने सभी सेवानिवृत्त शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए विश्वविद्यालय के निर्माण में उनके श्रम और समय की सराहना की. शिक्षक दिवस पर सम्मानित करने के लिये अवकाश प्राप्त कुल 106 प्राध्यापकों को आमंत्रित किया गया था. इनमें संबद्ध कॉलेजों के 64 तथा पीजी एवं अंगीभूत कॉलेजों के 42 शिक्षक शामिल थे. उपस्थित होने वालों को कुलपति ने सम्मानित किया. इससे पूर्व कुलपति एवं अन्य लोगों ने दीप जलाकर कार्यक्रम का उदघाटन किया. शिक्षक होना अपने आप में भाग्यशाली होना होता- प्रो. अजय समारोह में पीजी जंतुविज्ञान के विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त प्रो. अजय नाथ झा ने कहा कि शिक्षक होना अपने आप में भाग्यशाली होना होता है. नये शिक्षकों से कहा कि वे अपने अंदर हमेशा शिक्षकत्व गुण को बनाएं रखें. एमएलएस कालेज सरिसबपाही के प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त प्रो. विजय कुमार मिश्र ने शिक्षक एवं शिक्षक दिवस के महत्व को रेखांकित किया. सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त प्रो. प्रेम चंद्र मिश्रा, डीएमसीएच के पूर्व अधीक्षक डॉ सूरज नायक, डॉ बैद्यनाथ चौधरी ने शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं दी. डॉ भास्कर नाथ ठाकुर, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ मीना प्रसाद, संकायाध्यक्ष प्रो. शाहिद हसन ने कुलपति के कार्यकाल के दौरान हुए शैक्षणिक एवं प्रशासनिक उपलब्धि को गिनाया. विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार चौधरी, वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो. हरेकृष्ण सिंह ने भी विचार रखा. अतिथियों का स्वागत कुलसचिव डॉ दिव्या रानी हंसदा ने की. संचालन डॉ सत्येंद्र कुमार झा तथा धन्यवाद ज्ञापन अमृत कुमार झा ने किया. बिना शिक्षकों से पढ़े जब से पास होने लगे छात्र, तो घटने लगा शिक्षकों का महत्व पीजी वाणिज्य विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बीबीएल दास ने कहा कि जब से छात्रों में यह अवधारणा बनी है कि बिना शिक्षकों से पढ़े ही हम बेहतर अंक के साथ परीक्षा पास कर डिग्री हासिल कर सकते हैं, तब से शिक्षकों का महत्व घटने लगा है. शिक्षण व्यवस्था एवं छात्रों की यही सोंच उन्हें शिक्षकों से दूरी बना दी है. वर्ग कक्ष तक छात्रों को पहुंचने नहीं दे रही है. कहा कि अगर जल्द इसमें बदलाव नहीं लाया गया, तो अगली पीढ़ी के लिए उचित नहीं होगा. प्रो. दास ने कहा इस अवधारणा से छात्रों निकलने की जरूरत है. इसके लिए व्यवस्था एवं शिक्षक दोनों को संकल्पित होकर प्रयास करना होगा. कालेजों की मरघटी सन्नाटा को दूर करने को सामूहिक प्रयास आवश्यक पीजी हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि कालेजों में मरघटी सन्नाटा है. छात्र कॉलेजों से दूर हो गये हैं. कॉलेजों को गुलजार करने के लिए, छात्रों को वर्ग तक लाने के लिये सामूहिक प्रयास की जरूरत है. कहा कि शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद ख्याति के लिए केवल लेखन ही रह जाता है. कहा कि नय शिक्षक हम लोगों से अधिक मेधावी हैं. पुराने लोगों की जिम्मेदारी है कि नये शिक्षकों का दिशा प्रदर्शित करें. कहा कि एक जमाना था, जब यह विवि प्रदेश में अराजकता का पर्याय माना जाता था. अब तो यह गुणवत्ता के रास्ते पर चल पड़ा है.
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