आरा. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग के दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह नाथ सभागार में भोजपुरी के लोकप्रिय साहित्यकार रामयश अविकल के प्रथम कहानी संग्रह ‘लकीर’ का लोकार्पण सह परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित हुआ. लोकार्पण संयुक्त रूप से हिंदी भोजपुरी के पूर्व विभागाध्यक्षों प्रो डॉ अयोध्या प्रसाद उपाध्याय, प्रो डॉ नीरज सिंह, प्राकृत विभागाध्यक्ष प्रो दूधनाथ चौधरी, भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रो दिवाकर पांडेय और वरिष्ठ साहित्यकार आलोचक जितेंद्र कुमार ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कथाकार रामयश अविकल ने कहानी संग्रह तथा रचनाकर्म पर प्रकाश डाला. भोजपुरी रचनाकार नीतू सुदीप्ति नित्या ने कहानियों को यथार्थवादी तथा वर्गीय चेतना से लैस बताया. हिंदी के रचनाकार डॉ सिद्धनाथ सागर ने अविकल जी के बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला. प्रो डॉ नीरज सिंह ने संग्रह की कहानियों पर चर्चा करते हुए अविकल जी की कहानियों में हाशिए के समाज की अभिव्यक्ति को रेखांकित करते हुए कहा कि ये कहानियां सामाजिक परिवर्तन की प्रेरणा देती हैं. उन्होंने कहा कि कहानियों में संवाद शैली सहज है जिससे पाठक कहानी में रुचि लेंगे. प्रो डॉ अयोध्या प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि इन कहानियों की संवाद शैली और कथावस्तु पर चर्चा की. प्रो डॉ दिवाकर पांडेय ने संग्रह की शिल्प शैली पर प्रकाश डाला.प्रो बलिराज ठाकुर ने लेखक के प्रति अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की. अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए जितेंद्र कुमार ने कहा कि आजादी के बाद परिस्थितियां बदली हैं पर समाजवाद अभी आ नहीं सका है ऐसे में अविकल जी कहानियां हमें मार्ग दिखाती हैं. अंतरजातीय विवाह, नक्सलवाद पर आधारित कहानियां इस बात की सूचक हैं. इनके अलावा भगवान अनंत, ब्रजभूषण प्रसाद, डॉ शिवस्वरूप राम ने कहानी संग्रह पर चर्चा की. कार्यक्रम में भोजपुरी साहित्यप्रेमियों के अलावा शोध छात्रों राजेश कुमार, सोहित सिन्हा, हिमांशु आदि उपस्थित थे.
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