Bettiha : बगहा.
भगवान भक्त के अधीन होते हैं. वें अपने भक्तों पर अत्याचार सहन नहीं कर सकते. पांचवें दिन की भागवत कथा में भगवान राम के पूर्वजों और राम अवतार की कथा करते हुए आचार्य योगेश्वर स्वामी ने कहा कि भगवान भक्त की अधीन होते हैं. भगवान ने विष्णु के परम भक्त अमरीश की कथा सुनाते हुए द्व एकादशी व्रत के फल पर चर्चा किए. उन्होंने भागवत पुराण का हवाला देते हुए कहा कि झूठे लोग एकादशी को दो दिवसीय मानते हैं. वे मूर्ख हैं. एकादशी केवल एक दिन होती है. व्यक्ति को द्वादशी युक्त एकादशी ही करनी चाहिए. एकादशी एक ऐसा व्रत है जो भक्तों के समूल पाप को नष्ट कर देता है. लेकिन जो लोग दशमी युक्त एकादशी व्रत करते हैं उनके सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं. उनका किया गया सारा सत्कर्म मोहिनी अप्सरा को प्राप्त हो जाता है. अमरीश जैसे भक्त के साथ दुर्वासा ऋषि ने जब दुर्व्यवहार किया तो स्वयं भगवान विष्णु का सुदर्शन उन्हें मारने के लिए पहुंचा. जिससे दुर्वासा ऋषि की रक्षा स्वयं भक्त अमरीश ने ही की थी. इसलिए भक्तों का अपमान नहीं करना चाहिए. वही दूसरी ओर आचार्य योगेश्वर महाराज वृंदावन ने बताया कि भगवान विष्णु की दो पत्नियां है. एक श्री देवी यानी लक्ष्मी और दूसरा भू देवी यानी पृथ्वी. यही कारण है कि जब रावण के अत्याचार से पृथ्वी त्राहि-त्राहि करने लगी और भक्तों पर रावण का अत्याचार बढ़ गया. तब भगवान राम अवतार लिए. भगवान राम के अवतार के पूर्व उन्होंने राम के यशस्वी पूर्वजों राजा हरिश्चंद्र, मांधाता, रघु, त्रिशंकु, भागीरथी, दिलीप आदि की कथा भी सुनाएं. उन्होंने कथा के दौरान बताया कि राम के पूर्वजों में रघु इतने बड़े दानी हुए कि उनके दान से सूर्य का पुण्य भी ढक गया. जिससे सूर्यवंशी कुल का नाम रघुकुल पड़ गया. आचार्य ने बताया कि गंगा गोमुख से निकलकर भारत को पवित्र पावन करते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है. इनके जल से दिव्य सुगंध निकलता है. टिहरी बांध के ऊपर गंगा, अलकनंदा मंदाकिनी जैसी अन्य नाम से जानी जाती है. जब कपिल मुनि के श्राप से राजा सगर के 60000 पुत्र भस्मीभूत में भूत हो गए तब अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए राम के तीन पूर्वजों ने ब्रह्मा की खूब सेवा की. तब ब्रह्मा जी की कमंडल से गंगा निकालकर भगवान शिव के जटा में समा गयी. इसके के बाद गंगा जी की एक धारा भूमंडल पर प्रकट हुई. इसमें राम के तीन पूर्वजों का पूरा जीवन और तपस्या समाप्त हो गया. भागीरथ के जीवन में गंगा पृथ्वी पर पहुंची. इसलिए गंगा का एक नाम भागीरथी भी है. उन्होंने मांधाता त्रिशंकु की भी कहानी बताई. भगवान राम के जन्म होने पर उन्होंने भोजपुरी में कई सोहर और बधाइयां गाए. इस अवसर पर लोगों ने कई उपहार न्योछावर किए. मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित 21 वीं वाहिनी के कमांडेंट तपेश्वर संबित रावत ने व्यास पीठ से आचार्य योगेश्वर जी महाराज से आशीर्वाद लिए. महाराज जी ने उन्हें अंग वस्त्र और गंगाजल प्रदान किए. इस अवसर पर आशीर्वाद देने वाले लोगों में सन्नी कुमार यादव, माधवेंद्र पांडेय, पं. वासुदेव पांडेय शामिल रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है