मुंगेर. मुंगेर स्वास्थ्य विभाग सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल समेत जिले में संचालित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में मानकों के अनुरूप दवाओं की उपलब्धता के मामले में लगातार राज्य में नंबर-1 स्थान हासिल कर रहा है. लेकिन मुंगेर स्वास्थ्य विभाग अपने स्वास्थ्य संस्थानों में दवाओं के रखरखाव में पूरी तरह विफल साबित हो रहा है. हालात ये हैं कि आए दिन सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में दवाओं की बर्बादी के मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहा है. हालात ये हैं कि कहीं चूहे दवाएं खा रहे हैं तो कहीं एक्सपायरी दवाएं मरीजों को दी जा रही हैं. अब ऐसे में स्वास्थ्य केंद्रों में निर्धारित दवाएं उपलब्ध होने के बावजूद मरीजों को इसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है.
दवा की उपलब्धता में लगातार नबंर-1 मुंगेर स्वास्थ्य विभाग
बता दें कि विभागीय निर्देशानुसार सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल सहित सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दवाओं की उपलब्धता का निर्धारण है. जिसके अनुसार ही इन स्वास्थ्य केंद्रों पर दवाओं की उपलब्धता रखी जानी है. इसमें आईपीडी और ओपीडी में अलग-अलग निर्धारित दवाओं की उपलब्धता होनी है. इसमें मुंगेर स्वास्थ्य विभाग लगातार सूबे में पहले स्थान पर बना है. मुंगेर स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर 85 से 95 प्रतिशत दवाएं उपलब्ध रखी जा रही है. वहीं अपने स्वास्थ्य केंद्रों तक दवाओं को पहुंचाने के लिये विभाग से मुंगेर स्वास्थ्य विभाग को दो औषधि वाहन भी मिला है. जो लगातार इन स्वास्थ्य केंद्रों पर केंद्रीय दवा भंडार से दवाएं पहुंचा रहे हैं.
दवाओं के रखरखाव में फेल मुंगेर स्वास्थ्य विभाग
मुंगेर स्वास्थ्य विभाग दवाओं के रखरखाव में पूरी तरह फेल हो रहा है. जिसके कारण ही आये दिन सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में दवाओं के बर्बादी का मामला सामने आता है. बीते दिनों जहां असरगंज में चूहों द्वारा दवाओं को नष्ट कर दिये जाने का मामला सामने आया था. वहीं साल 2024 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दवा बर्बादी का मामला सामने आया था. इसके अतिरिक्त कोरोना काल के दौरान साल 2022 में मुंगेर जिले के सदर अस्पताल में दवा बर्बादी के मामले सामने आये थे. हद तो यह है कि दवाओं की उपलब्धता का दवा करने वाले मुंगेर स्वास्थ्य विभाग के सरकारी संस्थानों में आये दिन मरीजों को एक्सपायरी या गलत दवा दिये जाने का मामला भी सामने आता है.
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ रामप्रवेश प्रसाद ने बताया कि सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर निर्धारित दवाएं रखी जा रही है. साथ ही सभी को निर्देशित किया गया है कि दवाओं का रखरखाव बेहतर ढंग से किया जाये. इसके लिये समय-समय पर समीक्षा कर इसकी जानकारी ली जा रही है.
—————————कब-कब आये दवा बर्बादी का मामला
23 अगस्त 2025 –
असरगंज प्रखंड के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बैजलपुर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर दवा एवं आरएल सलाइन को चूहों ने कुतर कर बर्बाद कर दिया था. जिससे हजारों रूपये की जीवन रक्षक दवाएं बर्बाद हो गयी थी. वहीं मामले में संबंधित स्वास्थ्य केंद्र की एक एएनएम से स्पष्टीकरण पूछकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.8 जुलाई 2025 –
तारापुर अनुमंडल अस्पताल में वंशीपुर निवासी राहुल कुमार सिंह पत्नी शबनम कुमारी को कोलेकैल्सीफेरोल ग्रेन्यूल्स 60000 आइयू दवा का दो पाउच दिया गया. जिसमें एक पाउच दवा की एक्सपायरी जून माह में ही हो चुकी थी. जबकि बिना इसकी जांच किये मरीज को अनुमंडल अस्पताल में दवा दे दी गयी थी.4 मई 2024 –
सदर प्रखंड प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के जर्जर भवन में हजारों की संख्या में बच्चों को दी जाने वाली आयरन की दवा सहित अन्य दवाओं को वैसे ही छोड़ दिया गया. जो जर्जर भवन में खराब हो गयी. वहीं मामले की जांच तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिन्हा द्वारा अपने स्तर से की गयी थी और दवाओं का वितरण कराया गया था.7 फरवरी 2022 –
सदर अस्पताल में मॉडल अस्पताल निर्माण के दौरान पुराने भवनों को तोड़ा जा रहा था. जिसमें अस्पताल के पुराने भवनों में लाखों की दवाएं फेंकी मिली थी. हाल यह था कि इन कमरों से दवा निकालने में तीन दिन लग गये थे. वहीं मामले में केवल फार्मासिस्ट से स्पष्टीकरण पूछकर छोड़ दिया गया था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

