छपरा. स्वास्थ्य सेवाओं को समाज के ग्रासरूट स्तर तक पहुंचाने के लिए आशा कार्यकर्ता एक बार फिर मील का पत्थर साबित हो रही हैं. स्वास्थ्य विभाग ने अब उन्हें डिजिटल रूप से प्रशिक्षित कर, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी जुटाने और जरूरतमंदों को उचित इलाज दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी है. इस पहल के तहत आशा कार्यकर्ता गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं और योग्य दंपतियों के स्वास्थ्य की घर-घर जाकर निगरानी करेंगी और जरूरत पड़ने पर चिकित्सकीय परामर्श भी उपलब्ध करवाएंगी.
मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है उद्देश्य
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि आशा कार्यकर्ता सर्वेक्षण के दौरान न केवल स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट सौंपेंगी, बल्कि प्रत्येक लाभार्थी का सर्वे फॉर्म भी भरेंगी. साथ ही, वे प्रसुताओं को नवजात की देखभाल और सही पोषण संबंधी जानकारी भी देंगी. यदि किसी महिला या शिशु की स्थिति गंभीर पायी जाती है, तो उन्हें तत्काल चिकित्सक या एएनएम से परामर्श दिलाया जायेगा. इससे गर्भवती महिलाओं व नवजातों को समय पर इलाज और परामर्श मिल सकेगा, जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में मदद मिलेगी. वहीं डिजिटल प्रशिक्षण से लैस आशा कार्यकर्ता अब सर्वेक्षण के दौरान रियल टाइम रिपोर्टिंग कर सकेंगी, जिससे स्वास्थ्य विभाग समय रहते आवश्यक कदम उठा सकेगा. इसके अलावा, जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा ताकि ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं का समय पर लाभ मिल सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

