– जर्जर है भवन व यात्री शेड, जोखिम में कर्मी की जान, तिरपाल टांग सुरक्षा का करते है इंतजाम
– न पानी, न शौचालय, पेड़ के नीचे गंदगी के बीच बसों का इंतजार करते हैं यात्रीमुंगेर
बिहार राज्य पथ परिवहन निगम मुंगेर का मुख्य सरकारी बस स्टैंड पुरी तरह बदहाल है. जहां कर्मचारी जान जोखिम में डाल कर काम करने को विवश है. 30 लाख प्रतिमाह राजस्व देने वालं इस स्टैंड में यात्री सुविधा का भी घोर अभाव है. यात्री शेड जर्जर रहने के कारण पेड़ के नीचे वाहनों का इंतजार करते हैं. इतना ही नहीं पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा तक यात्रियों को यहां उपलब्ध नहीं है. हद तो यह है कि जहां भवन व यात्री शेड की बेहद ही जरूरत थी, वहां चारदिवारी का निर्माण कराया जा रहा है.30 लाख राजस्व देने के बावजूद बदहाल है व्यवस्था
किला के मुख्य द्वार पर बिहार राज्य पथ परिवहन विभाग का स्टैंड है. जो प्रतिदिन लगभग 1 लाख और प्रतिमाह 30 लाख का राजस्व प्राप्त कर रहा है. लेकिन यात्री सुविधा का घोर अभाव है. यहां न तो पेयजल की व्यवस्था है, न ही शौचालय है. प्यास लगने पर यात्री बोतल बंद पानी खरीद कर अपनी प्यास बुझाते हैं. जबकि शौच की जरूरत महसूस होने पर यात्रियों को या तो पैसे भुगतान कर पास के निगम के शौचालय में जरूरत पूरी करनी पड़ती है या फिर शर्म-हया को त्याग कर इधर-उधर मूत्र विर्सजन करना पड़ता है. मर्द को तो कोई खास परेशानी नही है. लेकिन इस व्यवस्था में खासकर महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.गंदगी से पटा है बस स्टैंड, दुर्गंध करती है परेशान
बस स्टैंड में चारों ओर गंदगी पसरा हुआ है. वहां की गंदगी देखने से लगता है कि बस स्टैंड में कई महीनों से झाड़ू तक नहीं लगा है. सरकारी बस स्टैंड में न तो राज्य पथ परिवहन विभाग मुंगेर की ओर से सफाई का कोई इंतजाम किया गया है और न ही नगर निगम के सफाईकर्मी ही वहां सफाई करते है. यात्रियों द्वारा मल-मूत्र भी वहां पर त्याग कर दिया जाता है. जिसके कारण स्टैंड में बदबू यात्रियों को परेशान करता है.जानलेवा बना है यात्री शेड, बरगह का पेड़ बना ठिकाना
सरकारी बस स्टैंड में यात्रियों के बैठने के लिए कोई इंतजाम नहीं है. हालांकि जो भवन यहां बना हुआ है उसमें एक यात्री शेड भी बना हुआ है. लेकिन वह पूरी तरह से जर्जर है. जिसमें बैठना जान जोखिम में डालना है. क्योंकि यात्री शेड का छत टूट-टूट कर गिरता है. यात्री शेड की जर्जरता और वहां पसरी गंदगी के कारण यात्री खुले आसमान के नीचे वाहनों का इंतजार करते हैं. स्टैंड के बीच स्थित बरगद पेड़ के नीचे यात्री जमीन पर बैठकर या फिर इधर-उधर दुकान में बैठकर वाहनों का इंतजार करने को मजबूर है.तिरपाल टांग कर काम करने को विवश है कर्मचारी
जानकारी के अनुसार 1965 में यहां बस स्टैंड में भवन का निर्माण कराया गया था. जो भवन आज पूरी तरह से खंडर में तब्दील हो चुका है. टूट-टूट कर छत गिर रहा है. बावजूद जान जोखिम में डालकर कर्मचारी यात्रियों को सेवा प्रदान कर रहे है. हालात यह है कि टूट-टूट कर गिर रहे सिलिंग से बचने के लिए तिरपाल लगाया गया. जबकि बारिश में इनकी परेशानी अधिक बढ़ जाती है. वर्तमान समय में यहां दो टाइम कीपर, दो टिकट काटने वाला सहित कुल 5 कर्मी तैनात हैं. यहां से प्रतिदिन 12-13 बस जमुई, पूर्णिया और जिले के तारापुर व गौरवडीह के लिए खुलती है. सुबह 5 बजे से चहलकदमी शुरू हो जाती है. कर्मचारियों की माने तो काम करना मजबूरी है, लेकिन कब हादसा का शिकार हो जायेंगे यह कह नहीं सकते है. इस स्टैंड की बदहाली हर किसी से छिपी नहीं है.भवन छोड़ चारदिवारी बनाने में व्यवस्त है विभाग
बताया जाता है कि बस स्टैंड में पुराने भवन को तोड़ कर नया भवन बनाने की जरूरत थी. यहां यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधा बहाल करने की जरूरत है. लेकिन विभाग भवन व यात्री सुविधाओं को नजर अंदाज कर यहां चारदिवारी का निर्माण करवा रही है. भवन निर्माण विभाग द्वारा चारदिवारी का निर्माण कराया जा रहा है.कहते हैं प्रतिष्ठान अधीक्षक
प्रतिष्ठान अधीक्षक विजय कुमार यादव ने बताया कि विभाग द्वारा भवन निर्माण विभाग से चारदिवारी का निर्माण कराया जा रहा है. विभागीय निर्देश पर बस स्टैंड और डीपो का डीपीआर भवन निर्माण विभाग द्वारा विभाग को भेज दिया गया है. शीघ्र ही इस पर विभागीय स्तर पर ठोस पहल करने की उम्मीद है.
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