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विकासशील देशों में सिर्फ 13 फीसदी महिलाएं ऑनलाइन

आज के दौर में इंटरनेट को विश्व भर में लैंगिक समानता लाने का महत्वपूर्ण हथियार माना जाता है. लेकिन, विडंबना यह है कि विश्व भर में सिर्फ 25 करोड़ महिलाएं ही ऑनलाइन हो सकीं हैं. न्यूज डीपली में प्रकाशित खबर के अनुसार, साल 2013 के बाद से अफ्रीका, अरब राज्यों और अमेरिका में लैंगिक अंतर […]

आज के दौर में इंटरनेट को विश्व भर में लैंगिक समानता लाने का महत्वपूर्ण हथियार माना जाता है. लेकिन, विडंबना यह है कि विश्व भर में सिर्फ 25 करोड़ महिलाएं ही ऑनलाइन हो सकीं हैं. न्यूज डीपली में प्रकाशित खबर के अनुसार, साल 2013 के बाद से अफ्रीका, अरब राज्यों और अमेरिका में लैंगिक अंतर काफी बढ़ गया है. विश्व के विकासशील देशों में 13 प्रतिशत से भी कम महिलाएं ऑनलाइन हैं.

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यह अंतर यही तक सीमित नहीं है. मोबाइल फोन के उपयोग में भी कम आय वाले और मध्य-आय वाले देशों में पुरुषों की तुलना में 200 मिलियन से भी कम महिलाओं के पास मोबाइल फोन की सुविधा है. इससे समझा जा सकता है कि महिलाओं को अर्थव्यवस्था और समाज से कितना बाहर रखा गया है. वे महत्वपूर्ण शैक्षिक, चिकित्सा या सामाजिक जानकारी से भी वंचित हैं. सूचनाओं तक पहुंच न केवल अपने व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देता है. बल्कि यह महिलाओं में सुरक्षा की भावना भी विकसित करता है. यहां तक कि जो महिलाएं इंटरनेट व कंप्यूटर से जुड़ी हुई हैं, वे भी पुरुषों की तुलना में प्रौद्योगिकी का उपयोग कम करती हैं. जब बात रोजगार और वित्तीय सेवाओं की आती है इसमें भी पुरुषों की पहुंच महिलाओं से कही आगे है.

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विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकाधिक महिलाओं को ऑनलाइन करने के लिए लैंगिक भेदभाव को ऑफलाइन करने की जरूरत है. पुरुषों की तुलना में संपत्ति का मालिकाना हक, कम पैसे पर अधिक काम, बेहतर शिक्षा तक पहुंच का न होना जैसे मुद्दों पर महिलाएं जब तक आवाज नहीं उठायेंगी, तब तक डिजिटल दुनिया में वे पुरुषों से बराबरी नहीं कर सकतीं. आज विश्व में लगभग 780 मिलियन लोग अनपढ़ हैं, उनमें से दो तिहाई महिलाएं हैं और अगर आप लिख-पढ़ नहीं सकते तो कंप्यूटर व मोबाइल का इस्तेमाल आपके लिए टेढ़ी खीर है.

तकनीकी क्षेत्र में कम है महिलाओं की भागीदारी

यह आश्चर्य की बात नहीं है कि तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिशत कम है. महिलाएं दुनिया के कुल कर्मचारियों की संख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं, फिर भी इसमें तकनीकी उद्योग में उनका योगदान सिर्फ 25 प्रतिशत है. तकनीक क्षेत्र में अधिक से अधिक महिलाओं की भागीदारी वैश्विक स्तर पर मुद्दा बन कर उभरा है. ऐसा माना जा रहा है कि अगर कंपनी कोई भी उत्पाद बनाती है. अगर कंपनी के बोर्ड में पुरुष होंगे तो वे संबंधित प्रोडक्ट से महिलाओं को होनेवाले लाभ-हानी से कंपनी को रूबरू कराने में सक्षम नहीं हो सकेंगे. ऐसी ही गड़बड़ी एप्पल के स्वास्थ से जुड़ाे एक एप्प में मिली, जिसमें महिलाओं के मासिक चक्र का जिक्र तक नहीं था.

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