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पोषक तत्वों को न करें नजरअंदाज

कुपोषण कई कारणों से हो सकता है. यह खान-पान में लापरवाही बरतने से तो हो ही सकता है, लेकिन कई बार यह समस्या कुछ रोगों के कारण भी हो सकती है. अत: इसके कारणों को जान कर इसे दूर करना चाहिए. कैसे दूर करें कुपोषण सबसे पहले बीएमआइ (बॉडी मास इंडेक्स) और कुछ रूटीन टेस्ट […]

कुपोषण कई कारणों से हो सकता है. यह खान-पान में लापरवाही बरतने से तो हो ही सकता है, लेकिन कई बार यह समस्या कुछ रोगों के कारण भी हो सकती है. अत: इसके कारणों को जान कर इसे दूर करना चाहिए.

कैसे दूर करें कुपोषण

सबसे पहले बीएमआइ (बॉडी मास इंडेक्स) और कुछ रूटीन टेस्ट कराएं. यदि कोई बीमारी का पता चले, तो उसके लिए अलग से टेस्ट कराएं. रिपोर्ट के आधार पर डायटीशियन से अपना डायट चार्ट बनवाएं. डायटीशियन आपके डायट चार्ट में सभी पोषक तत्वों को डालेंगे, जो आपके शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं. डायट चार्ट को अच्छे से फॉलो करें. डायट चार्ट फॉलो करने के बाद शुरुआत में महीने में दो बार टेस्ट कराएं और देखें शरीर में कितना बदलाव आया है. यदि डायट चार्ट फॉलो करने के बाद भी सकारात्मक परिणाम नजर नहीं आते हैं, तो डायटीशियन से संपर्क कर समस्या जानें और उसका समाधान पाएं.

एनीमिया बड़ी समस्या

महिलाओं में एनीमिया की समस्या भी आम होती जा रही है. चूंकि इसके लक्षण सामान्य होते हैं इस कारण महिलाएं इसमें लापरवाही बरतती हैं और इसके कारण रोग गंभीर हो जाता है.

इसके शरीर पर दूरगामी परिणाम देखने को मिलते हैं. शरीर में रेड ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबिन का सामान्य से कम होना ही एनीमिया है. इस रोग से ग्रस्त मरीजों में खून की कमी के साथ-साथ शरीर में आॅक्सीजन की कमी भी हो जाती है. एक मोटे अनुमान के अनुसार भारत में 30 प्रतिशत महिलाएं इस रोग से ग्रस्त हैं. इस समस्या से बचने के लिए महिलाओं को खाने में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए. डॉक्टर की सलाह से आयरन के सप्लीमेंट भी ले सकती हैं.

बातचीत व आलेख : कुलदीप तोमर

किन कारणों से होता है कुपोषण

– अनियमित व अपर्याप्त खान-पान : यदि कोई व्यक्ति शरीर की मांग के अनुरूप खान-पान ग्रहण नहीं करता है, तो वह कुपोषित हो सकता है. शरीर की जरूरत के हिसाब से विटामिंस और मिनरल्स मिलते रहें, तो शरीर के अंदरूनी अंग अच्छे से काम कर पाते हैं.

– मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम : दिमागी समस्या भी कुपोषण का एक कारण हो सकती है.

– डाइजेस्टिव डिसआॅडर : कुछ लोग खान-पान पर पूरा ध्यान देते हैं, फिर भी कुपोषित हो जाते हैं. ऐसे लोगों के शरीर में खाना पचने में दिक्कत होती है. इसलिए जो खाया जाता है, उसके पोषक तत्व शरीर को नहीं मिल पाते हैं और व्यक्ति कुपोषण का शिकार हो जाता है. यह डाइजेस्टिव डिसआॅर्डर से होता है.

– शराब का अधिक सेवन : शराब का अधिक सेवन करने से भी पैन्क्रियाज डैमेज हो जाता है. इससे शरीर के खाना पचाने की क्षमता प्रभावित होती है और शराब का अधिक सेवन करनेवाले लोग कुपोषण से ग्रस्त हो जाते हैं. दूसरा शराब में कैलोरी होती है, इसका सेवन करने से शरीर को भूख कम लगती है, जिसकी वजह से लोग ठीक से खाना नहीं खाते हैं. इसके परिणामस्वरूप शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है.

िबगड़ा खान-पान है जिम्मेवार

यह एक भ्रांति है कि कुपोषण सिर्फ गरीबों को होता है. आजकल अच्छी आयवाले लोग भी कुपोषण के शिकार पाये जाते हैं. इसका प्रमुख कारण खान-पान में आनेवाला बदलाव है. पहले लोग चना और भुट्टा आदि का सेवन खूब करते थे. इस कारण सामान्य आयवाले लोग भी स्वस्थ रहते थे. आजकल आय बढ़ने पर लोग इन चीजों को हेय दृष्टि से देखते हैं. लोग सिर्फ स्वाद को प्राथमिकता देते हैं. अत: अच्छे खान-पान के अभाव में बच्चे कुपोषित रह जाते हैं.

शहरों में यह भी देखा जाता है कि माता-पिता काम में व्यस्त होने के कारण बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाते, जिससे भी यह समस्या होती है. बच्चे आजकल जंक फूड का सेवन अधिक करते हैं और हरी सब्जियां बहुत ही कम खाते हैं. इससे भी शरीर को पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं. कुछ बीमारियों के कारण भी शरीर कुपोषित हो जाता है.

जैसे-किसी को टीबी हो जाये, तो उसके कारण भूख ठीक से नहीं लगती है और शरीर कमजोर हो जाता है. यदि किसी को क्रॉनिक डायरिया हो जाये, तो उसके कारण शरीर में पोषक तत्व अवशोषित नहीं हो पाते हैं. इससे भी शरीर कमजोर हो जाता है. अत: रोग होने पर समय से उपचार कराना चाहिए और इस दौरान खाने-पीने में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए.

बातचीत : अजय कुमार

शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व

शरीर ऊर्जा के िलए भोजन पर िनर्भर रहता है. शरीर के सुचारू रूप से काम करने के िलए कुछ चीजों की जरूरत होती है. ये पोषक तत्व शरीर के िवकास के िलए जरूरी होते हैं. इनकी कमी से भी शरीर में कई रोग हो सकते हैं. शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों को दो भागों में बांटा जाता है :

-मैक्रोन्यूट्रिएंट्स : इस प्रकार के न्यूट्रिएंट्स में प्रोटीन, फैट और कार्बोहाइड्रेट होते हैं. ये शरीर को एनर्जी देते हैं. मस्तिष्क को काम करने के लिए फैट की बहुत जरूरत होती है, इसके अलावा शरीर को जोड़ों में चिकनाहट बनाने के लिए भी फैट चाहिए. प्रोटीन इम्यूनिटी के लिए जरूरी माना जाता है. प्रोटीन हार्मोंस, स्किन, बॉडी आॅर्गेन आदि के लिए भी काफी जरूरी है. यह शरीर में टिश्यू का निर्माण करता है और पुराने टिश्यू को रिपेयर करने में भी अहम भूमिका निभाता है. कार्बोहाइड्रेट एनर्जी का मुख्य स्रोत है.

-माइक्रोन्यूट्रिएंट्स : इस श्रेणी में विटामिंस और मिनरल्स होते हैं, क्योंकि शरीर को इनकी जरूरत मैक्रोन्यूट्रिएंट्स के मुकाबले कम होती है. अंगों के विकास के लिए विटामिंस और मिनरल्स की जरूरत होती है. कैल्शियम हड्डियों की मजबूती और आयरन खून की कमी को दूर करने के लिए जरूरी है. दूध, पनीर, केला आदि में कैल्शियम पाया जाता है. आयरन के लिए भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां, मछली, मांस, अंडा आदि शामिल करें. फल और सब्जियां विटामिंस और मिनरल्स के अच्छे स्रोत हैं. इनमें फाइबर के अलावा विटामिन ए और सी भी भरपूर मात्रा में होते हैं.

केस :

पिछले साल दिसंबर महीने में पटना के एक कॉलेज में एड्स कंट्रोल सोसाइटी की तरफ से रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था. इसमें 150 छात्राओं ने रक्तदान के लिए रजिस्ट्रेशन कराया. रक्तदान से पहले इन लोगों की जांच की गयी. डॉक्टरों को तब आश्चर्य हुआ कि 150 में से मात्र सात लड़कियां ही ब्लड डोनेट करने के लायक थीं. डॉक्टरों के अनुसार अधिकतर लड़कियों में या तो हीमोग्लोबिन कम था या उनका वजन सामान्य से कम था. इस कारण वे ब्लड डोनेट नहीं कर सकती थीं. इसका कारण डॉक्टरों ने उनके खान-पान संबंधी दोष को बताया.

सबकी जरूरत होती है अलग

सामान्य काम करनेवाले वयस्क पुरुष को 2400 किलो कैलोरी, 55 ग्राम प्रोटीन, 0.5 ग्राम कैिल्शयम और 24 मिग्रा आयरन की जरूरत होती है. वयस्क महिला को 1900 किलो कैलोरी, 45 ग्राम प्रोटीन, 0.5 ग्राम कैिल्शयम और 32 मिग्रा आयरन की जरूरत होती है. 6 महीने तक के िशशु को रोज 118 िकलो कैलोरी और दो ग्राम प्रति किलो वजन के हिसाब से मिलना चािहए. इसके अलावा 0.5 ग्राम कैल्शियम और एक मिग्रा प्रति िकलो वजन के हिसाब से आयरन की जरूरत होती है. सात से नौ साल के बच्चे को 2050 किलो कैलोरी, 35 ग्राम प्रोटीन, 0.5 ग्राम कैल्शियम और 25 मिग्रा आयरन की जरूरत होती है. उम्र और स्वास्थ्य के अनुसार यह भिन्न हो सकता है.

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