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विश्व कैंसर दिवस : कैंसर के सबसे अधिक मामले केरल में बिहार-झारखंड में सबसे कम, जानें इससे बचने के उपाय

कैंसर से हर साल मरते हैं 80 लाख से ज्यादा लोग कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या में ढाई दशकों में दोगुनी से ज्यादा की वृद्धि नयी दिल्ली : कैंसर से दुनियाभर में हर साल 80 लाख से अधिक लोग दम तोड़ते हैं. इनमें से 40 लाख लोग समय से पहले (30-69 वर्ष आयु […]

कैंसर से हर साल मरते हैं 80 लाख से ज्यादा लोग
कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या में ढाई दशकों में दोगुनी से ज्यादा की वृद्धि
नयी दिल्ली : कैंसर से दुनियाभर में हर साल 80 लाख से अधिक लोग दम तोड़ते हैं. इनमें से 40 लाख लोग समय से पहले (30-69 वर्ष आयु वर्ग) मर जाते हैं.
इस बीमारी के खिलाफ चौतरफा जंग छेड़ी जाए, वर्ना वर्ष 2025 तक इसकी वजह से समय से पहले होने वाली मौतों की संख्या बढ़ कर 60 लाख तक होने की आशंका है. विश्व कैंसर दिवस एक वैश्विक कार्यक्रम है, जो दुनिया के हर व्यक्ति को इस जानलेवा बीमारी के खिलाफ एकजुट करने का आह्वान करता है. इसका उद्देश्य जागरूकता फैलाना, कैंसर के बारे में शिक्षा बढ़ाना तथा विश्व में सरकारों और व्यक्तियों को कार्रवाई करने के लिए संवेदनशील बनाना है.
4 फरवरी 2000 को पेरिस में कैंसर के खिलाफ विश्व सम्मेलन में इस दिन को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गयी थी. कैंसर भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारी बन गया है. पिछले ढाई दशक में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या में दोगुना से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है. देश में होने वाली कुल मौतों में कैंसर की हिस्सेदारी बढ़ कर 8.3% हो चुकी है.
विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर गलत लाइफस्टाइल के कारण बढ़ने वाली बीमारी है. शुरुआती निदान तथा बेहतर समझ से इससे बचना और उबरना संभव है. इस बार वर्ल्ड कैंसर डे की थीम भी ‘आइ एम एंड आइ विल’ रखी गयी है यानी मरीज प्रबल इच्छाशक्ति से इस जानलेवा रोग को मात दे सकता है. बहुत से लोगों ने इस बीमारी को हराने का हौंसला दिखाया है.
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देश में कैंसर से अब तक 8.13 लाख लोगों की मौत
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 1990 में देश में कैंसर के चलते 3.82 लाख मौतें हुईं थीं. 2016 में यह संख्या बढ़ कर 8.13 लाख हो गयी.
कैंसर से बचने के उपाय : कैंसर के खतरनाक मामलों से बचने का एकमात्र उपाय नियमित जांच, स्वस्थ लाइफस्टाइल, धूम्रपान त्यागना, शुद्ध व पौष्टिक खान-पान, फलों-सब्जियों का ज्यादा सेवन, स्वच्छ आबोहवा और नियमित दिनचर्या है.
केरल में सर्वाधिक मामले बिहार-झारखंड में सबसे कम
कैंसर के सबसे अधिक मामले केरल में सामने आये हैं, जहां साक्षरता दर देश में सबसे ज्यादा है. वर्ष 2016 में केरल में कैंसर के मामलों की दर प्रति लाख आबादी पर 135.3 थी. केरल के बाद मिजोरम (121.7), हरियाणा (103.3), दिल्ली (102.9) क्रमश: दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं.
प्रति लाख 53.9 की दर के साथ बिहार में कैंसर का प्रकोप सबसे कम है. वहीं, झारखंड-मिजोरम (64.3) संयुक्त रूप से कम कैंसर के मामले में दूसरे स्थान पर और राजस्थान-तेलंगाना (72.6) संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर हैं.

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