विनय
मॉल में भी गोबर व मिट्टी से बनाये जा रहे भित्ति-चित्र, कला को बचाये रखने के लिए लोगों को किया जागरूक
मुजफ्फरपुर : देश की सबसे प्राचीन कला में शुमार भित्ति चित्र भले ही अब कुछ राज्यों की पहचान हो, लेकिन शहर की एक कलाकार इसे देश भर में फिर से स्थापित करने में लगी हैं.
पंद्रह वर्षों के अथक प्रयास से इन्होंने इस कला को वैसे शहरों में स्थापित किया है, जहां से यह विलुप्त हो गयी थी. गोबर, मिट्टी व प्राकृतिक रंगों से दीवारों पर भित्ति चित्र बनाने के साथ प्रीति इस कला को बचाये रखने के लिये लोगों को जागरूक भी कर रही हैं. आधुनिक परिवेश में रह रहे लोगों को घर की दीवारों पर गोबर से चित्रकारी के लिये राजी करना आसान नहीं होता, लेकिन प्रीति की कलाकृति ही ऐसी होती है, कि लोग मोहित हो जाते हैं. अपनी कला साधना की बदौलत प्रीति ने दिल्ली के कई घरों व मॉल में भित्ति चित्र बनाया है.
दादी से हुईं प्रभावित
प्रीति बताती हैं कि उनका पुश्तैनी मकान मुजफ्फरपुर, गायघाट के बाघाखाल में है. बचपन में वह दादी को घर की दीवारों पर गोबर व मिट्टी से कलाकृति बनाते देखती थीं. यह कला उनके मन में बैठ गयी. फिर वे खुद गोबर व मिट्टी लेकर दीवारों पर चित्र बनाने लगीं. राजनीति शास्त्र में एमए करने के बाद वे दिल्ली चली आयीं, लेकिन भित्ति-चित्र बनाना नहीं छोड़ा. यहां लोग इस कला से काफी प्रभावित हुए. कई लोगों ने घर की दीवारों पर बनवाया. केंद्र सरकार का पर्यटन मंत्रालय ने भी प्रीति के भित्ति-चित्र व स्क्रैप पेंटिंग से प्रभावित होकर कलाकारों की सूची में शामिल किया है. अब ये स्मार्ट सिटी सहित पर्यटन वाले क्षेत्रों में भित्ति-चित्र व स्क्रैप पेंटिंग बना रही हैं.
कई शहरों में बनाये भित्ति-चित्र व मेराल
प्रीति कहती हैं कि सबसे पहले उन्होंने भोपाल में भित्ति चित्र व मेराल बनाये. इसके बाद मसूरी, देहरादून, चंडीगढ़, दिल्ली, इंदौर, गंगटोक व उत्तरकाशी के कई जगहों पर भित्ति-चित्र व मेराल बना कर लोगों को प्राचीन कला के संरक्षण का संदेश दिया है. मुजफ्फरपुर के एक छोटे से गांव से सीखी कला को आज पूरे देश में लोग पसंद कर रहे हैं, यह मेरे लिये बड़ी बात है. प्रीति कहती हैं कि नयी पीढ़ी गोबर व मिट्टी की उपेक्षा नहीं करें. जिन घरों में गोबर का उपयोग होता है, वहां बैक्टीरिया नहीं पनपते. लोगों को इस कला को बचाये रखने के लिये आगे आना चाहिए.