यह यक्ष प्रश्न है कि इतनी वैज्ञानिक उड़ान के बाद भी डायबिटीज को रोकना संभव नहीं दिख रहा. हमारे युवा इस महामारी का शिकार हो रहे हैं. यहां साइंस फेल हो गया है. बड़ा कारण है आज हमारा समाज सही भोजन एवं पर्याप्त शारीरिक व्यायाम की महिमा से कोसों दूर हो गया है. दुनिया में इस समय एरोबिक, रेसिस्टेंस, स्ट्रेचिंग एवं योग आदि व्यायामों द्वारा डायबिटीज को रिवर्स गियर में लाने के शोध चल रहे हैं और यह स्पष्ट होता जा रहा है कि एक घंटे का व्यायाम डायबिटीज को रोकने का सबसे बड़ा उपाय है.
सितंबर, 2018 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपे एक शोध में कुछ ऐसे रोगियों का जिक्र था, जो थेराप्यूटिक फास्टिंग के तहत हप्ते में तीन दिन खाना बंद कर देते थे. ऐसे मरीजों में डायबिटीज लगभग खत्म होने लगी.
कुछ शोधों ने दिखाया कि यदि 15 किलो वजन घटा दिया जाये तो डायबिटीज की अवस्था ही खत्म हो जाती है. जब डायबिटीज की चिकित्सा धीरे-धीरे पूर्णतः डिजिटल होने के कगार पर है और आपका मोबाइल ही शूगर और दवा को नियंत्रित करने में समर्थ होगा तब भी जो चमत्कार सही भोजन एवं एक घंटा पैदल चलने का है, उसे कोई मात नहीं दे सकता. यह वह माया है, जो बिजनेस एवं इकोनॉमी क्लास का फर्क नहीं करती और आपकी निष्क्रियता और सक्रियता ही सही मंजिल तय करेगी.