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भारत जैसे देशों के 98% बच्चे जहरीली हवा के शिकार, 2016 में वायु प्रदूषण से छह लाख बच्चों की हुई मौत
नयी दिल्ली : भारत समेत निम्न एवं मध्यम आय-वर्ग के देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसदी बच्चे जहरीली हवा के शिकार हैं. 2016 में घरेलू और अन्य वायु प्रदूषण के कारण 15 साल से कम उम्र के तकरीबन छह लाख बच्चों की मौत हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सोमवार को […]
नयी दिल्ली : भारत समेत निम्न एवं मध्यम आय-वर्ग के देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसदी बच्चे जहरीली हवा के शिकार हैं. 2016 में घरेलू और अन्य वायु प्रदूषण के कारण 15 साल से कम उम्र के तकरीबन छह लाख बच्चों की मौत हुई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि खाना पकाने से घर के अंदर होने वाले वायु प्रदूषण और घर के बाहर के वायु प्रदर्शन से दूनिया भर में भारत जैसे निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में बच्चों के स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचा है. भारत जैसे देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसदी बच्चे पीएम 2.5 से रुबरु हो रहे हैं, जबकि उच्च आय वर्ग के देशों में 52 फीसद बच्चे इस स्तर का सामना कर रहे हैं.
इनमें पांच साल की उम्र के 63 करोड़ बच्चे और 15 साल से कम उम्र के 1.8 अरब बच्चे शामिल हैं. इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. सोमवार को भी दिल्ली में धुंध की मोटी चादर छायी रही, जिससे दिल्ली में हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच चुकीहै.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 348 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी दर्शाता है. अधिकारियों की दलील है कि निर्माण कार्य, वाहनों से होने वाले प्रदूषण, पंजाब एवं हरियाणा में खेतों में पराली जलाये जाने जैसे कारकों की वजह से दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है.
दिल्ली में छायी धुंध की मोटी चादर, हवा की गुणवत्ता बहुत खराब
स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर
हवा में पीएम 2.5 की मौजूदगी का 0-50 तक का स्तर सेहत के लिए सुरक्षित माना जाता है. यह स्तर 101-200 हो जाने से फेफड़ों तथा दमे की बीमारियों से जूझ रहे लोगों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं. वहीं, पीएम 2.5 का स्तर 301-400 के बीच हो जाने पर ऐसी हवा के संपर्क में रहने से सांस की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
एनसीआर में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर बैन, चलाने पर होंगे जब्त
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों के परिचालन पर सोमवार को प्रतिबंध लगा दिया.
साथ ही अदालत ने परिवहन विभाग को निर्देश दिया कि यदि ऐसे वाहन चलते पाये जाएं, तो उन्हें जब्त कर लिया जाये. जस्टिस मदन बी लोकूर की पीठ ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण की स्थिति को ‘बहुत ही चिंताजनक’ बताते हुए कहा कि 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों की सूची केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और परिवहन विभाग की वेबसाइट पर प्रकाशित की जाये.
यही नहीं, पीठ ने इस बारे में समाचार पत्रों में विज्ञापन भी प्रकाशित किये जायें, ताकि जनता को इसकी जानकारी मिल सके. पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सोशल मीडिया पर तत्काल एक एकाउंट खोलने का निर्देश दिया, जिस पर प्रदूषण की समस्या के बारे में नागरिक शिकायत दर्ज कर सकें और संबंधित प्राधिकारी उन पर उचित कार्रवाई कर सके.
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