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IIT दिल्ली छात्रों ने विकसित की सर्पदंश की सस्ती दवा

नयी दिल्ली : प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के छात्रों ने सांप के जहर के प्रभाव को निष्क्रिय करने के लिए एक किफयाती और अधिक प्रभावी उपाय विकसित किया है. यह अनुसंधान अमेरिका के सैन जोस विश्वविद्यालय के सहयोग किया गया है. अनुसंधान में शामिल अनुराग राठौड़ ने बताया कि ‘लेथल टॉक्सिन-न्यूट्रलाइजिंग फैक्टर’ (एलटीएनएफ) […]

नयी दिल्ली : प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के छात्रों ने सांप के जहर के प्रभाव को निष्क्रिय करने के लिए एक किफयाती और अधिक प्रभावी उपाय विकसित किया है.

यह अनुसंधान अमेरिका के सैन जोस विश्वविद्यालय के सहयोग किया गया है. अनुसंधान में शामिल अनुराग राठौड़ ने बताया कि ‘लेथल टॉक्सिन-न्यूट्रलाइजिंग फैक्टर’ (एलटीएनएफ) एक पैप्टाइड है जो सांप के जहर को निष्क्रिय करने के लिए जाना जाता है.

सांप का काटना दशकों तक एक उपेक्षित बीमारी रही, लेकिन 2009 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे तीव्र उपेक्षित बीमारियों की सूची में शामिल कर लिया.

आईआईटी दिल्ली के अनुसंधानकर्ताओं ने डीएनए तकनीक का इस्तेमाल करके एलटीएनएफ निर्माण की प्रक्रिया विकसित की है और इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया है.

यह उत्पाद रैटलस्नेक और वाइपर जैसे सांपों के जहर की काट करने में कारगर साबित हुआ है और इसका परीक्षण जारी है. अगर इसे कामयाबी मिलती है तो यह सांप के काटने का एक किफायती उपचार होगा.

उन्होंने कहा कि सांप के काटने से जी़वित उत्तक की कोशिकाएं मृत हो सकती हैं, गंभीर रक्तस्राव हो सकता है, लकवा मार सकता है, दिल की धड़कन बंद हो सकती है.

इसके अलावा, शरीर पर क्या प्रभाव पड़ सकता है इस पर निर्भर करता है कि सांप किस प्रकार का था और किस तरह से काटा था. सांप के काटने से हर साल दुनियाभर में 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है. भारत में हर साल एक लाख से ज्यादा लोग सांप के काटने की वजह से मरते हैं.

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