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Yoga for Wrinkles: चेहरे की झुर्रियों से निजात दिलाने में मदद करेंगी ये क्रियाएं

Yoga for Wrinkles: माथे पर झुर्रियां आना यूं तो बढ़ती उम्र की निशानी है.लेकिन, आज के समय में तनाव, डिप्रेशन, गुस्सा, गलत खानपान, सूर्य की तेज किरणों के कारण भी समय से पहले ही माथे पर झुर्रियां आने लगती हैं. जानें कुछ ऐसे आसन जो आपके माथे, चेहरे, आंखों के स्वास्थ्य को निखारने में मददगार हो सकते हैं.

अक्सर हम अपने शरीर को फिट रखने के लिए एक्सरसाइज, वॉकिंग, डायटिंग, योगाभ्यास, प्राणायाम जैसे तरकीब अपनाते हैं. बावजूद इसके समय के अभाव में कई बार अपने शरीर के दर्पण यानी चेहरे की अनदेखी कर जाते हैं. इसके चलते कम उम्र में ही लोगों को चेहरे पर रिंकल्स की समस्या से दो-चार होना पड़ता है. अस्वस्थ जीवनशैली, अधिक मेकअप, तनाव, ज्यादा लैपटॉप-मोबाइल का उपयोग इसके पीछे कारण हो सकते हैं. आचार्य प्रतिष्ठा से जानें कुछ ऐसे आसन जो आपके माथे, चेहरे, गर्दन, आंखों के स्वास्थ्य और सौंदर्य को निखारने में मददगार हो सकते हैं.

इन क्रियाओं के अलावा सुबह टहलते समय मुंह में एक चम्मच भर शुद्ध नारियल तेल या जैतून का तेल लेकर कुल्ला करने जैसी विधि से दायें-बायें, ऊपर-नीचे पंद्रह मिनट तक घुमाना भी चेहरे के लिए बहुत अच्छा व्यायाम है. आहार में घर का बना मक्खन, देसी घी, दूध को भी अपने स्वास्थ्य अनुसार प्रयोग में लाएं और पानी भरपूर मात्रा में पीएं.

आचार्य प्रतिष्ठा को जानिए

प्रतिष्ठा शर्मा एक योग शिक्षिका हैं. सबसे पहले उन्होंने अपने पिता योग गुरु भारत भूषण के सानिध्य में योग के गुर सीखे. इसके बाद उन्होंने कथक केंद्र नयी दिल्ली में छह वर्ष के लिए गुरु शंकर आप्टे की देख-रेख में योग का प्रशिक्षण लिया. 2 अक्टूबर, 2007 को प्रतिष्ठा शर्मा को एक मीडिया हाउस ने ‘सबसे युवा योगाचार्य और ‘माइंड थेरेपिस्ट’ के रूप में सम्मानित किया. वह आइसीसी जोहान्सबर्ग में भारत के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के पद पर ‘योग गुरु ‘और कथक कलाकार के रूप में भी काम कर चुकी हैं. साथ ही केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा विज्ञापन फिल्म ‘अतुल्य भारत’ के लिए भी वह योग आसन कर चुकी हैं. वह कथक गुरुओं जैसे गुरु राजेंद्र गंगानी, गुरु जयकिशन महाराज, गुरु गीतांजलि लाल के साथ काम कर चुकी हैं.

पहली क्रिया

ये आपके माथे के लिए होगी. सुखासन में बैठ जाएं. दोनों भवों को जितना ऊपर उठा सकते हैं, उठाएं और फिर नीचें लाएं. इस आसन को दस बार दोहराएं.

दूसरी क्रिया

दोनों हाथों की मध्यमा व तर्जनी उंगलियों को ‘वी’ शेप में बना लें. आंखों के किनारों पर रख उनसे आंखों को क्षैतिज दिशा में फैलाएं और वापस लाएं.

तीसरी क्रिया

इस आसन में आपको दूसरी क्रिया की तरह ही करना है. सिर्फ क्षैतिज के बदले आंखों को ऊर्ध्वाधर दिशा में खींचना-छोड़ना है. दस बार इसको भी करें.

चौथी क्रिया

ये नाक के लिए होगी. इसमें आपको नासिका व आसपास के हिस्सों को सिकोड़ना-छोड़ना है. कुछ-कुछ वैसी आकृति बनेगी जैसे किसी दुर्गंध आने पर नाक की हो जाती है. सिर्फ दस बार वैसी मुद्रा बनानी है, किसी दुर्गंध का सामना नहीं करना है.

पांचवी क्रिया

ये होंठों के लिए होगी. इसमें होठों को आपस में मिलाकर आगे लाएं और वापस पीछे ले जाएं. जैसा किसी को चुंबन संकेत देते समय किया जाता है. इससे दस बार करें.

छठी क्रिया

होठों के आसपास के हिस्सों में पड़ी झुर्रियों को हटाने के लिए इस क्रिया का उपयोग होगा. इसमें आपको कुछ नहीं करना, मात्र मुस्कान सी मुखाकृति बनानी व बंद करनी है.

सातवीं क्रिया

ये गालों के लिए होगी. इसके लिए गालों को हवा भरकर पूरा फुलाएं और वापस पिचकाएं. पिचकाने में गालों से हवा बाहर खिंच जाएगी और गाल, मुंह के अंदर धंसने चाहिए.

आठवीं क्रिया

ये गर्दन के लिए है. इसमें अपने गालों की सहायता से गर्दन की दोनों तरफ बगलवाली नसों को खींचिए व छोड़िए. दस बार इसको भी दोहराएं. सुबह-शाम ये सारी क्रियाएं करें.

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