White Cast In Sunscreen: गर्मियों में सूरज की तेज रोशनी से स्किन को प्रोटेक्ट करने के लिए लोग सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं. यह आपके स्किन की पर एक बैरियर की तरह परत बनाता है जिससे सूरज के नुकसानदायक रेज आपकी स्किन कांटेक्ट में नहीं आते हैं. जिससे आपकी होने से बच जाती है. यह स्किन पर होने वाले टैनिंग से बचाव करता है और स्किन सम्बन्धी समस्याओं को भी कम करने में मददगार है. लेकिन अधिकतर सनस्क्रीन को त्वचा पर लगाते ही वाइट कास्ट आने लगते हैं. इसके कारण कई लोग सनस्क्रीन के इस्तेमाल से भी घबराते हैं. इसलिए आज हम आपको बताएंगे की की सनस्क्रीन में आखिर क्यों वाइट कास्ट होता है और ये आपकी स्किन पर कैसा प्रभाव डालता है.
क्या है वाइट कास्ट?
सनस्क्रीन में जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड जैसे तत्त्व मौजूद होते हैं जो आपके त्वचा को सूरज की नुकसानदायक किरणों से बचाने में मदद करते हैं. ये तत्व ही स्किन पर वाइट कास्ट के मुख्य कारण बनते हैं. अक्सर ये तत्व मिनरल सनस्क्रीन में पाए जाते हैं.
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बचने के उपाय
अगर आप सनस्क्रीन के वाइट कास्ट से बचना चाहते हैं तो आप मिनरल सनस्क्रीन के बजाये केमिकल या टिंटेड सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके साथ ही आप ऐसे सनस्क्रीन का चुनाव करें जिसमें टाइटेनियम डाइऑक्साइड मौजूद न हो. इस तरह के सनस्क्रीन बिना वाइट कास्ट रिलीज किये ही के आपके स्किन को सूरज के तेज चमक और हार्मफुल रेज से प्रोटेक्ट करते हैं. इसके अलावा सनस्क्रीन से पहले स्किन को अच्छे से हाइड्रेट भी करें.
स्किन पर प्रभाव
वाइट कास्ट का आपके त्वचा पर कोई तरह का स्थायी प्रभाव नहीं पड़ता है. यह सनस्क्रीन के रूप में आपकी त्वचा पर परत बनाने का काम करता है जिससे आपकी स्किन डैमेज होने से बचती है. लेकिन ये वाइट कास्ट आपकी स्किन से मैच न होने पर आपको असहज महसूस करा सकता है.
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