Vastu Tips: क्या आपके घर में लगे दर्पण आपकी किस्मत बदल सकते हैं? विशेषज्ञों के अनुसार, घर में दर्पण का सही स्थान न केवल सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है, बल्कि यह वास्तु दोषों को दूर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अक्सर अनजाने में हुई एक छोटी सी गलती भी घर के माहौल और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य व समृद्धि पर गहरा असर डाल सकती है. आज जब हर कोई अपने जीवन में शांति और खुशहाली चाहता है, तब वास्तु के इन प्राचीन सिद्धांतों को समझना और उन्हें अपने घरों में लागू करना बेहद जरूरी हो गया है. जानिए कैसे दर्पण की सही दिशा और जगह आपके जीवन में खुशहाली ला सकती है.

वास्तु शास्त्र में दर्पण का महत्व
वास्तु शास्त्र भारतीय वास्तुकला का एक प्राचीन विज्ञान है, जो किसी स्थान में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के सिद्धांतों को बताता है. दर्पण, इस विज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिनमें ऊर्जा को अवशोषित और परावर्तित करने की शक्ति होती है. सही तरीके से रखे गए दर्पण घर या कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं और धन, स्वास्थ्य और खुशहाली को आकर्षित कर सकते हैं. हालांकि, यदि इन्हें गलत दिशा में रखा जाए, तो ये नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं और परेशानियों का कारण बन सकते हैं.
दर्पण लगाने की सही दिशाएँ
वास्तु शास्त्र के अनुसार, दर्पण को हमेशा कुछ विशेष दिशाओं में ही लगाना चाहिए ताकि सकारात्मक प्रभाव मिल सकें:
- उत्तर या पूर्व दिशा: घर में उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार पर दर्पण लगाना सबसे शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि उत्तर-पूर्व दिशा में लगा दर्पण धन और समृद्धि को आकर्षित करता है. यह दिशा धन लाभ और उन्नति के अवसर बढ़ाती है.
- ईशान कोण: ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा के बीच का कोना) में दर्पण लगाना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि यह धन-दौलत को आकर्षित करता है.
- डाइनिंग रूम: भोजन कक्ष में दर्पण लगाना शुभ होता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य और धन को दोगुना कर सकता है. यह धन को आकर्षित करता है.
- ऑफिस: कार्यालय में, दर्पण को उत्तर या पूर्व की दीवार पर रखा जाना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे और नए अवसर आ सकें.
इन जगहों पर दर्पण लगाने से बचना चाहिए
वास्तु शास्त्र के अनुसार, दर्पण को हमेशा कुछ विशेष दिशाओं में ही लगाना चाहिए ताकि सकारात्मक प्रभाव मिल सकें:
- बेडरूम: बेडरूम में, खासकर बिस्तर के ठीक सामने दर्पण नहीं लगाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इससे नींद खराब होती है, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आती हैं, और पति-पत्नी के बीच मनमुटाव बढ़ सकता है. यदि बेडरूम में दर्पण रखना आवश्यक हो, तो उसे सोते समय कपड़े से ढक देना चाहिए.
- रसोईघर: रसोईघर में दर्पण लगाना शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
- मुख्य द्वार के सामने: घर के मुख्य द्वार के ठीक सामने दर्पण नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जा घर से बाहर चली जाती है. यह ऊर्जा को टकराकर वापस भेजता है, जिससे बेचैनी और अस्थिरता आ सकती है.
- दक्षिण या पश्चिम दिशा: घर की दक्षिण या पश्चिम दिशा की दीवारों पर दर्पण लगाने से बचना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इन दिशाओं में दर्पण लगाने से पारिवारिक जीवन में अशांति और भय बना रहता है, साथ ही धन की बर्बादी भी हो सकती है.
- एक-दूसरे के सामने: दो दर्पणों को कभी भी एक-दूसरे के ठीक सामने नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे घर के सदस्यों के बीच तनाव बढ़ सकता है. इससे बेचैनी और उदासी बढ़ सकती है.
- शौचालय/बाथरूम के सामने: बाथरूम में दर्पण दरवाजे के ठीक सामने नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह अंदर आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा सकता है.
- सीढ़ियों के सामने: सीढ़ियों के सामने दर्पण लगाना भी उचित नहीं माना जाता है, क्योंकि इससे ऊर्जा का बार-बार टकराव होता है.
- स्टोर रूम: स्टोर रूम में दर्पण लगाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है.
- अव्यवस्था या कचरे के सामने: अव्यवस्थित जगहों या कूड़ेदान के सामने दर्पण नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मकता को बढ़ा सकता है.
- अंधेरे कोने: घर के किसी ऐसे कोने में जहां अंधेरा रहता हो या कोई गतिविधि न होती हो, वहां दर्पण लगाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा सकता है.
दर्पण के आकार और स्थिति से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण नियम
दर्पण के स्थान के साथ-साथ उसके आकार, स्थिति और स्थिति भी वास्तु में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:
आकार: वास्तु शास्त्र के अनुसार, चौकोर और आयताकार आकार के दर्पण शुभ माने जाते हैं. गोल या अंडाकार दर्पण को प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए. नुकीले या त्रिकोणीय आकार के दर्पण अशुभ माने जाते हैं और इनसे बचना चाहिए. अष्टभुजाकार दर्पण भी शुभ माने जाते हैं.
दर्पण की ऊंचाई: दर्पण को फर्श से लगभग चार से पाँच फीट ऊपर रखना चाहिए. इसे हमेशा लटकाना चाहिए, जमीन या मेज पर नहीं रखना चाहिए.
स्वच्छता: दर्पण को हमेशा साफ और चमकदार रखना चाहिए. धुंधले, गंदे, या टूटे हुए दर्पण को तुरंत हटा देना चाहिए, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं और दुर्भाग्य व बीमारी ला सकते हैं. ऐसे दर्पण में चेहरा देखने से व्यक्ति में निराशा और नकारात्मकता आ सकती है.
प्रकाश का परावर्तन: दर्पण का उपयोग ऐसे स्थान पर करें जहाँ से प्राकृतिक प्रकाश परावर्तित हो सके, जिससे घर में चमक और खुलापन बढ़े. यह अधिक स्थान का भ्रम भी पैदा करते हैं.
दीवारों पर लगाना: उत्तर या पूर्व दिशा की दीवारों पर दर्पण लगाने से यह खिड़की या दरवाजे का कार्य कर सकता है, खासकर उन घरों में जहाँ रोशनदान या खिड़कियाँ नहीं हैं, जिससे घर में खुशहाली आती है.
दर्पण और ऊर्जा का संतुलन
दर्पण जल तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो घर में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की ऊर्जाओं को प्रभावित कर सकते हैं. यदि घर में सकारात्मक ऊर्जा भरपूर है, तो सही दिशा में लगाया गया दर्पण उसे बढ़ा सकता है. इसके विपरीत, यदि घर में नकारात्मक ऊर्जा है और दर्पण गलत तरीके से स्थित है, तो यह नकारात्मकता को बढ़ा सकता है. वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेकर दर्पणों का सही स्थान तय करने से ऊर्जा का संतुलन बना रहता है और समृद्धि व खुशियाँ आती हैं.
विशेष परिस्थितियों में उपयोग: यदि घर के किसी कोने में कोई “कट” है, तो उस दिशा में दर्पण लगाकर वास्तु दोष को दूर किया जा सकता है. यदि घर के बाहर बिजली के खंभे या पेड़ जैसे वास्तु दोष उत्पन्न करने वाले तत्व हों, तो मुख्य दरवाजे पर पाक्वा मिरर लगाकर दोष को कम किया जा सकता है.
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