Siddhidatri Mata ki Aarti : नवरात्र के नौवें दिन मां दुर्गा के नौवें रूप सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है. मां सिद्धिदात्री की आराधना से भक्तों के सभी शोक, भय और रोग का नाश हो जाता है. मां सिद्धिदात्री जीवन में होने वाली अनहोनी से भी रक्षा करती हैं. वह मोक्ष दायिनी भी हैं. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन करने से मां दुर्गा बहुत प्रसन्न होती है. साथ ही अपने भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती है .. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की तपस्या करके आठ सिद्धियां प्राप्त की थीं. माता की विधि विधान से पूजा और मंत्रों के उच्चारण से अष्ट सिद्धि और बुद्धि की प्राप्ति की जा सकती है.
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि :
मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें.
मां के लिए पूजा स्थल तैयार करें इसके बाद चौकी पर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा स्थापित करें
.मां सिद्धिदात्री का ध्यान करते हुए प्रसाद का भोग लगाएं.
माता रानी को फल, फूल आदि अर्पित करें और ज्योत जलाकर मां सिद्धिदात्री की आरती करें.
अंत में पूजा समाप्त करते हुए मां सिद्धिदात्री का आशीर्वाद लें.
इस दिन भक्तों को अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र की ओर लगाना चाहिए. यह चक्र हमारे कपाल के मध्य में स्थित होता है. ऐसा करने से भक्तों को माता सिद्धिदात्री की कृपा से उनके निर्वाण चक्र में उपस्थित शक्ति स्वतः ही प्राप्त हो जाती है.
मां सिद्धिदात्री का भोग : मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है. मां सिद्धिदात्री को नवमी पर इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं.
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप : मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं. इनका वाहन सिंह है. ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं. इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है. प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का निरंतर प्रयत्न करें. उनकी आराधना की ओर अग्रसर हो. इनकी कृपा से अनंत दुख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है. मान्यता है कि पूजा के दौरान अगर ये आरती और मंत्र नहीं पढ़ी जाती है तो मां सिद्धिदात्री की पूजा अधूरी रह जाती है
मां सिद्धिदात्री की आरती (Siddhidatri Mata ki Aarti)
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
महानवमी पर करें इन मंत्रों का जाप

नवदुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं. अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवत्त होते हैं. इन सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है.
मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
मां सिद्धिदात्री स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
प्रार्थना मंत्र
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि.
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
मंत्र
अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।
मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।
ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।
नवरात्रि महानवमी पर मां दुर्गा के इन मंत्रों का करें जाप
इस मंत्र के जाप से हर कार्य में मिलती है सफलता
'ॐ हुं फट्'
धन संबंधी परेशानियां होती हैं दूर
'ॐ श्रीं श्रियै नम'
नवग्रह को शांत करने के मंत्र
'ॐ नमो भास्कराय मम् सर्वग्रहाणां पीड़ा नाशनं कुरु कुरु स्वाहा।'
रोग से मुक्ति पाने के लिए मंत्र
'ॐ परात्मन परब्रह्म मम् शरीरं, पाहि-पाहि कुरु-कुरु स्वाह'
भय का नाश करने के लिए मंत्र
‘ॐ हं हनुमते नम:’
परिवार की रक्षा के लिए मंत्र का जाप
'ह्रीं ह्रीं ह्रीं'
माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए मंत्र
‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:’
बौद्धिक शक्ति बढ़ाने के लिए मंत्र
‘ॐ गं गणपतये नम:’