Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज राधारानी के परम भक्त हैं. वे आज किसी भी परिचय के मोहताज नहीं हैं. उनकी ख्याति भारत में ही नहीं विदेशों तक भी फैल चुकी है. उनके दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. भक्त उनकी एक झलक पाने और आशीर्वाद के लिए लालायित रहते हैं. प्रेमानंद जी के विचार लाखों लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत बनते हैं. अक्सर सोशल मीडिया पर उनके विचार छाए रहते हैं. आज करोड़ों भक्त उन्हें सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर फॉलो करते हैं. भक्त हमेशा महाराज से सांसारिक उलझनों और आध्यात्म से जुड़े सवाल पूछते रहते हैं, जिसका प्रेमानंद जी बहुत ही सहज तरीके से सटीक जवाब देते हैं. ऐसे में इस आर्टिकल में किसी विचार की बात करने के बजाय उनके खास दिन की बात करने वाले हैं. दरअसल, मार्च महीने में ही प्रेमानंद जी महाराज का जन्मोत्सव मनाया जाने वाला है, जिसको लेकर श्रद्धालु बहुत ही ज्यादा उत्सुक दिख रहे हैं. आइए जानते हैं कि उनका जन्मोत्सव कब, कहां और कैसे मनाया जाएगा.
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6 दिन चलेगा जन्मोत्सव कार्यक्रम (Premanand Ji Maharaj Birthday)
प्रेमानंद जी महाराज का जन्मोत्सव मार्च महीने के आखिरी सप्ताह यानी की 25 से 30 मार्च के बीच 6 दिनों तक मनाया जाएगा. इसका आयोजन श्रीराधा कलिकुंज में होगा. इस दौरान कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान जैसे कि संकीर्तन, श्रीजी का झूला दर्शन, संध्या वाणी पाठ, मंगल आरती, श्रृंगार आरती, सत्संग, राधा नाम कीर्तन और श्री हित चतुरासी जी पाठ होंगे. इस बात की जानकारी एक सोशल मीडिया पोस्ट शेयर कर दी गई है.
दर्शन के लिए की गई खास व्यवस्था
प्रेमानंद जी महाराज के जन्मोत्सव का कार्यक्रम 6 दिन चलेगा. इस दौरान प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन के लिए भारत के अलग-अलग राज्यों से आएंगे. ऐसे में भक्तों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए बकायदा व्यवस्था की गई है. हर दिन अलग-अलग क्षेत्र के लोग महाराज के दर्शन कर सकेंगे. जन्मोत्सव कार्यक्रम के पहले दिन वृंदावन से सटे इलाके जैसे गोवर्धन, ब्रज, मथुरा, आगरा, बरसाना और अलीगढ़ के श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे. दूसरे दिन यूपी के अन्य जिलों के शिष्य दर्शन करेंगे. तीसरे दिन दिल्ली एनसीआर, नोएडा, गुरुग्राम और पंजाब के लोग दर्शन कर पाएंगे. चौथे दिन केरल, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, असम, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार और गुजरात के शिष्य दर्शन कर पाएंगे. इसके अलावा, पांचवे दिन ओडिशा, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, झारखंड और महाराष्ट्र के शिष्य दर्शन कर पाएंगे.
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