Premanand Ji Maharaj: जिंदगी में सबसे बड़ा सवाल यही है कि कौन सच में हमारा अपना है और कौन सिर्फ हमारे पास अपने फायदे के लिए आता है. एक व्यक्ति ने हाल में ही प्रेमानंद जी महाराज से पूछा की कौन सच में हमारी भलाई की भावना रखता है और कौन सिर्फ अपने मतलब से पास आता है? ऐसे में हम कैसे पहचाने की कौन निष्काम प्रेम करता है और कौन सिर्फ स्वार्थ से जुड़ता है? इस सवाल पर महाराज जी ने ऐसा जवाब दिया जो हर इंसान की आंखें खोलने वाला है. अगर आप भी यह जानना चाहते हैं तो यह आर्टिकल जरूर पढ़ें.
प्रेमानंद जी महाराज ने कहा
हम अगर सही मार्ग अपनाना चाहें तो हमें यह सोचना चाहिए कि हमें मन से अच्छा व्यवहार करना है उसके साथ. वह चाहे स्वार्थ से आए या हमारे हित की भावना से आए, हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए यह हमें देखना है. हम परास्त तब हो जाते हैं जब हम दूसरों का व्यवहार देखने लगते हैं. दूसरों का व्यवहार देखने पर हम दुखी हो जाते हैं. इस संसार का नियम है कि हम जितना भी हित करेंगे, वह पलटकर हमें दुःख ही देगा. यह अपने दिमाग में डाल लो. आप चाहे जितना हित करो किसी का, जब अवसर आएगा तो दुःख ही मिलेगा. तब आपको लगेगा कि मैंने इसे इतना सुख दिया और यह मुझे दुःख दे रहा है, तो हम दुखी हो जाएंगे. इसलिए हमें चाहिए कि जो भी हमारे पास आए, हम समझें कि वह भगवान का भेजा हुआ है या स्वयं भगवान इस रूप में हमारे पास आए हैं. अब वह हमसे स्वार्थ की बुद्धि से व्यवहार करे, छल करे या निःस्वार्थ करे, हमें उसके साथ उचित व्यवहार करना चाहिए. इससे हमारी भक्ति पुष्ट होगी और भगवान प्रसन्न होंगे.
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