Premanand Ji Maharaj एक प्रसिद्ध संत और मार्गदर्शक हैं, जिन्होंने जीवन, मानसिक शांति और आध्यात्मिकता के सरल और प्रभावशाली मार्ग बताए हैं. उनकी शिक्षाएं सीधे लोगों के जीवन से जुड़ी होती हैं और हर उम्र के व्यक्ति को प्रेरित करती हैं. वे हमेशा कहते हैं कि ईश्वर का नाम जप करते रहना चाहिए, क्योंकि यही मन को स्थिर और जीवन को संतुलित बनाता है. ऐसे में एक व्यक्ति ने उनसे प्रश्न किया कि पूजा-पाठ और ईश्वर का नाम जपने के बावजूद भी मन को शांति क्यों नहीं मिलती और क्यों लगता है कि परिस्थितियां उनके अनुकूल नहीं हैं. तो आइए जानते हैं, प्रेमानंद जी महाराज ने इस विषय पर क्या कहा.
पूर्व पाप का प्रभाव
प्रेमानंद जी महाराज ने समझाया कि मन में शांति न मिलने का सबसे बड़ा कारण हमारे पूर्व जन्म या पूर्व जीवन के पाप होते हैं. जब तक ये पाप नष्ट नहीं होते, तब तक उनका प्रभाव हमें जलाता रहता है और जीवन में ताप व बेचैनी का कारण बनता है. यही कारण है कि कई बार पूजा-पाठ और नाम जप करने के बाद भी मन को सुकून नहीं मिलता.
दुःख और पाप का नाश
उन्होंने बताया कि दुःख के समय पाप नष्ट होते हैं. जब हम कठिनाइयों और दुःखों को सहते हैं, तब वास्तव में हम अपने पापों का दंड भोग रहे होते हैं और धीरे-धीरे पाप का नाश होता है.
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नाम जप का महत्व
महाराज जी ने कहा कि इन पापों को नष्ट करने का सबसे आसान उपाय भजन और नाम जप करते रहना है. जब हम निरंतर ईश्वर का स्मरण करते हैं तो धीरे-धीरे हमारे पाप क्षीण हो जाते हैं और मन में शांति का संचार होने लगता है.
भजन न छोड़ने की सीख
यदि नाम जप छोड़ दिया जाए, तो यह उसी तरह है जैसे कोई रोगी अपनी दवा बीच में छोड़ दे और रोग और अधिक प्रबल हो जाए. इसलिए भजन और नाम जप को जीवन का हिस्सा बनाना बेहद जरूरी है.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

