Premanand Ji Maharaj: बहुत लोग मानते हैं कि भाग्य पहले से लिखा होता है और इसे बदला नहीं जा सकता है. यही वजह है कि जब कठिनाइयां आती हैं तो इंसान खुद को असहाय महसूस करता है. लेकिन प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि मनुष्य जीवन इतना दुर्लभ और शक्तिशाली है कि इसमें अच्छे कर्मों से सब कुछ बदला जा सकता है.
प्रेमानंद जी महाराज से पूछा सवाल
एक सत्संग में जब उनसे प्रश्न किया गया कि क्या भाग्य का लिखा मिटाया जा सकता है, तो उन्होंने बड़ी सरलता से उत्तर दिया हां. अच्छे कर्मों और प्रभु भक्ति से भाग्य को बदला जा सकता है. ग्रह-नक्षत्र विपरीत हों या कठिन परिस्थितियां सामने हों, लेकिन अगर इंसान सत्कर्म करता है तो उसका दुर्भाग्य धीरे-धीरे सौभाग्य में बदल जाता है.
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प्रेमानंद जी ने कहा क्या करें?
- प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि प्रभु का नाम जप जीवन में सबसे बड़ी साधना है. जितना अधिक नाम स्मरण, कीर्तन और भक्ति करेंगे, उतनी ही नकारात्मक परिस्थितियां सकारात्मक बनेंगी. व्रत-उपवास और धर्मपालन से मनुष्य का आत्मबल बढ़ता है और उसके जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है.
- इसके साथ ही महाराज ने समाज सेवा को सबसे बड़ा पुण्य बताया. उनका कहना है कि बुजुर्गों की सेवा करना, जरूरतमंदों की मदद करना और समाज के लिए परोपकार करना आपके भाग्य को सुधारने का सबसे प्रभावी साधन है. ऐसे सत्कर्मों का प्रताप इतना होता है कि पहले से लिखे दुख भी कम हो जाते हैं और सुख बढ़ जाता है.
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- प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, भाग्य वास्तव में पिछले कर्मों से बना दुख-सुख का लेखा है. लेकिन यह बदला जा सकता है, क्योंकि ईश्वर अपने भक्त के अच्छे कर्म देखकर उसका दुर्भाग्य मिटाकर सौभाग्य प्रदान कर देते हैं.
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