Parenting Tips: बच्चों की परवरिश आसान नहीं होती, खासकर जब आप चाहते हैं कि बच्चा पढ़ाई में अच्छा करे, सही व्यवहार करे और रोज का रूटीन ठीक से बनाए. लेकिन कई बार यह समझ नहीं आता कि बच्चे को किस तरह सही दिशा दी जाए. ऐसे में हम आपके लिए लेकर आएं हैं कुछ आसान और स्मार्ट तरीके, जिन्हें हर माता-पिता बिना किसी मुश्किल के फॉलो कर सकते हैं. अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा धीरे-धीरे हर दिन बेहतर बने, तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत मददगार साबित होगा.
बच्चे की पढ़ाई को आसान और रोचक बनाएं
बच्चों पर पढ़ाई का दबाव न डालें, बल्कि पढ़ाई को उनकी रुचि के अनुसार मजेदार बनाएं. छोटे-छोटे टार्गेट देकर पढ़ने को आसान बनाया जा सकता है. रोज 20–30 मिनट का फोकस्ड स्टडी टाइम रखें, जिसमें टीवी या मोबाइल न हो. साथ ही, बच्चे की मेहनत की हमेशा तारीफ करें, ताकि वह खुद पढ़ने की आदत बनाए.
व्यवहार सुधारने के लिए शांत तरीके अपनाएं
बच्चों पर चिल्लाने या गुस्सा करने से उनका व्यवहार बेहतर नहीं होता, बल्कि और बिगड़ सकता है. इसलिए उनसे हमेशा प्यार से बात करें और उन्हें समझाएं कि कौन-सी चीज सही है और कौन-सी नहीं.
डेली रूटीन सेट करें और खुद भी फॉलो करें
अगर आप चाहते हैं कि बच्चे का रूटीन सही हो, जैसे समय पर उठना, पढ़ना, खेलना, खाना, तो पहले खुद एक छोटा रूटीन बनाएं. बच्चों के लिए चार जरूरी रूटीन, स्लीप टाइम, स्टडी टाइम, प्ले टाइम और ईटिंग टाइम, को फिक्स कर दें. इससे बच्चा धीरे-धीरे खुद अनुशासन सीखता है.
मोबाइल और स्क्रीन टाइम को सीमित रखें
ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों की पढ़ाई, व्यवहार और नींद पर असर डालता है. इसलिए बच्चों के मोबाइल उपयोग पर हल्के नियम बनाएं. दिन में सिर्फ तय समय पर ही फोन या टीवी देखने दें और बाकी समय बच्चों को क्रिएटिव एक्टिविटी में शामिल करें, जैसे ड्रॉइंग, किताबें, गेम्स या आउटडोर प्ले.
बच्चे की बात सुनें और उसे महत्व दें
बच्चों की छोटी-छोटी बातें सुनने से वे आप पर भरोसा करते हैं और खुलकर अपनी भावनाएं शेयर करते हैं. इससे उनका व्यवहार, आत्मविश्वास और सोच, बेहतर होती है. रोज 10–15 मिनट का Talk Time रखें, जिसमें बच्चा अपनी बात मन से बताए और आप बिना टोके उसे सुनें.
छोटे-छोटे काम सिखाकर जिम्मेदारी बढ़ाएं
बच्चों को हल्के घरेलू काम, जैसे अपनी चीजें रखना, किताबें सेट करना, बैग तैयार करना, सिखाएं. इससे उनमें जिम्मेदारी की भावना बढ़ती है और डेली रूटीन भी बेहतर होता है.
बच्चे की प्रगति पर खुश हों, परफेक्शन पर नहीं
हर बच्चा अलग होता है. तुलना करने की बजाय उसकी डेवलपमेंट पर ध्यान दें. चाहे बच्चा थोड़ा ही सही, लेकिन आगे बढ़े, यह सबसे जरूरी है. बच्चों की छोटे-छोटे सुधारों पर भी खुशी जताएं और उन्हें मन से अपनाएं.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

