Parenting Tips: माता-पिता की यह चाहत होती है कि उनके बच्चे स्कूल में बेहतर परफॉर्म करें और हमेशा ही टॉप करें. ऐसा हो सके इसके लिए पैरेंट्स अपने बच्चों की सभी जरूरतों को पूरा करता हैं. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि हमारी तमाम कोशिशों के बावजूद भी हमारे बच्चे स्कूल में बेहतर परफॉर्म नहीं कर पाते हैं. जब ऐसा होता है तो पैरेंट्स अपने बच्चों पर और पढ़ाई करने के लिए दबाव डालने लग जाते हैं. जब पैरेंट्स ऐसा करते हैं बच्चों पर बोझ और भी ज्यादा बढ़ जाता है और नौबत यहां तक आ जाती है कि वे खुद को दिनभर कमरे में बंद करके छोड़ देते हैं. कई बार तो ऐसा भी होता है कि जब आप उनसे बात करने की कोशिश करते हैं तो वे आपसे बात तक करना पसंद नहीं करते हैं. आज की यह आर्टिकल उन पैरेंट्स के लिए काफी काम की होने वाली है जिन्होंने हर कोशिश कर ली है लेकिन उनके बच्चे स्कूल में अच्छा परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं. चलिए जानते हैं आखिर आपकी सभी कोशिशों के बावजूद भी आपके बच्चे स्कूल में बेहतर क्यों नहीं कर पा रहे हैं.
मेंटल चैलेंजेस की वजह से
अगर आपके बच्चे स्कूल में बेहतर परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं तो इसके पीछे एक कारण मेंटल चैलेंजेस भी हो सकते हैं. मेंटल प्रॉब्लम्स जैसे कि डिप्रेशन, एंजाइटी और बाइपोलर डिसऑर्डर बच्चे के दिमाग पर काफी बुरा और गहरा प्रभाव डाल सकते हैं. जब ऐसा होता है तो आपके बच्चे न चीजों पर बेहतर तरीके से फोकस कर पाते हैं और ना ही चीजों को याद रख पाते हैं. कई बार इन मेंटल प्रॉब्लम्स की वजह से आपके बच्चों के मूड में अचानक से बार-बार बदलाव होने लगता है और साथ ही नई चीजों को सीखने में उनकी रूचि भी खत्म हो जाती है.
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चीजों को सीखने में दिक्कत या एडीएचडी
एडीएचडी की वजह से भी आपके बच्चों को चीजों समझने में, ध्यान केंद्रित करने में या फिर दिए गए किसी भी टास्क को पूरा करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. जब ऐसा होता है तो बच्चों में चिड़चिड़ाहट की भावना आती है और उन्हें खुद पर भरोसा भी नहीं रह जाता है. अगर आपको समस्या का पता समय रहते लग जाता है और आप इसके लिए कोई ठोस कदम उठाते हैं तो इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है. आप अपने बच्चे को थेरेपी के लिए ले जा सकते हैं अगर आपको लगता है कि ऐसा करने से उन्हें फायदा होगा.
मोटिवेशन की कमी
बच्चों का मन पढ़ाई से अक्सर उस समय उठ जाता है जब उन्हें इसमें कोई फायदा दिखाई नहीं देता है या फिर जब वे अपने टीचर और दोस्तों के साथ कनेक्शन महसूस नहीं कर पाते हैं. जब बच्चों के साथ ऐसा होता है तो उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता है और वे इसे बेहतर करने के लिए कोशिश भी नहीं करते हैं.
सोशल या फिर इमोशनल प्रॉब्लम
कई बार ऐसा भी होता है कि आपके बच्चों को स्कूल में बुली किया जाता है या फिर उनके दोस्तों की वजह से, रिलेशनशिप में प्रॉब्लम की वजह से या फिर यहां तक की परिवार में चल रही प्रॉब्लम की वजह से उनके अंदर तनाव भर जाता है और इसका उनके ऊपर काफी बुरा असर पड़ता है. इमोशनल ट्रॉमा की वजह से भी आपके बच्चे स्कूल में फोकस नहीं कर पाते हैं.
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