Parenting Tips: बच्चों की परवरिश एक खूबसूरत जिम्मेदारी है, जिसमें प्यार के साथ सही समझ और धैर्य भी जरूरी होता है. लेकिन कई बार अनजाने में की गई छोटी-छोटी गलतियां बच्चों के भविष्य पर गहरा असर डाल सकती हैं. आज के समय में बदलता माहौल, स्क्रीन टाइम और व्यस्त लाइफस्टाइल बच्चों की आदतों और सोच को प्रभावित कर रहा है. अगर शुरुआत में ही सही दिशा न दी जाए, तो यही गलतियां आगे चलकर बड़ी परेशानी बन सकती हैं. इसलिए माता-पिता के लिए जरूरी है कि वे समय रहते इन बातों पर ध्यान दें. यहां जानें परवरिश से जुड़ी ऐसी गलतियां, जिन्हें अभी सुधारना बहुत ही जरूरी है.
बच्चों को जरूरत से ज्यादा मोबाइल और स्क्रीन देना
आजकल बच्चों को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल या टैबलेट देना आम बात हो गई है. ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों की आंखों, नींद और ध्यान लगाने की क्षमता पर असर पड़ता है. इससे बच्चे चिड़चिड़े और जिद्दी भी हो सकते हैं. लंबे समय में यह उनकी पढ़ाई और व्यवहार दोनों को प्रभावित करता है.
हर बात पर बच्चों को डांटना या तुलना करना
बार-बार डांटने से बच्चों के मन में डर बैठ जाता है. जब उनकी तुलना दूसरों से की जाती है, तो उनका आत्मविश्वास धीरे-धीरे कम होने लगता है. बच्चे खुद को कम समझने लगते हैं और खुलकर बात नहीं करते. इससे उनका मानसिक विकास रुक सकता है.
बच्चों की हर जिद तुरंत पूरी कर देना
हर मांग तुरंत पूरी करने से बच्चों में धैर्य की कमी आ जाती है. वे यह समझने लगते हैं कि सब कुछ बिना मेहनत के मिल सकता है. आगे चलकर ऐसे बच्चे छोटी बात पर भी गुस्सा करने लगते हैं. इससे उनका व्यवहार जिद्दी और चिड़चिड़ा हो सकता है.
बच्चों के साथ पर्याप्त समय न बिताना
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में माता-पिता बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते. इससे बच्चे खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं. वे अपनी बातें और परेशानियां किसी से साझा नहीं कर पाते. इसका असर उनके भावनात्मक विकास पर पड़ता है.
बच्चों की बातों और भावनाओं को नजरअंदाज करना
जब माता-पिता बच्चों की बातें ध्यान से नहीं सुनते, तो बच्चे खुद को अनसुना महसूस करते हैं. धीरे-धीरे वे अपनी भावनाएं छिपाने लगते हैं. इससे माता-पिता और बच्चों के बीच दूरी बढ़ जाती है.
अनुशासन में ज्यादा सख्ती या ज्यादा ढील देना
कभी बहुत सख्त नियम और कभी पूरी छूट देना बच्चों को भ्रमित कर देता है. बच्चे समझ नहीं पाते कि सही और गलत क्या है. इससे उनका व्यवहार असंतुलित हो सकता है. अनुशासन हमेशा प्यार और समझ के साथ होना चाहिए.
खुद गलत आदतों का उदाहरण पेश करना
बच्चे माता-पिता को देखकर ही सीखते हैं. अगर माता-पिता खुद गुस्सा, मोबाइल की लत या गलत भाषा का इस्तेमाल करते हैं, तो बच्चे भी वही अपनाते हैं. उन्हें समझाना तब बेअसर हो जाता है. इसलिए पहले खुद सही व्यवहार अपनाना जरूरी है.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

