Chanakya Niti: चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय इतिहास के महान राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ और विद्वान रहे हैं. उनकी ‘चाणक्य नीति’ आज भी जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन करती है. उन्होंने जीवन में सफलता, नैतिकता और व्यवहार को लेकर कई अमूल्य बातें कही हैं. एक ऐसी ही नीति में चाणक्य बताते हैं कि कई बार मनुष्य सब कुछ जानने के बावजूद भी बार-बार वही गलतियां दोहराता है, जो अंततः उसके पतन का कारण बनती हैं.
Reasons for Downfall by Chanakya: जब विनाश निकट होता है, तो बुद्धि भी भ्रष्ट हो जाती है

चाणक्य का मानना था कि अगर कोई व्यक्ति आज अपने जीवन में संकट या बर्बादी का सामना कर रहा है, तो इसके पीछे उसके ही पुराने कर्म जिम्मेदार होते हैं. उन्होंने कुछ खास कारण गिनाए हैं, जिनसे यह समझा जा सकता है कि क्यों एक बुद्धिमान व्यक्ति भी विनाश की ओर बढ़ने लगता है.
What Chanakya says about success: चाणक्य कहते हैं-
“अगर कोई व्यक्ति आज बर्बाद हो रहा है, तो समझ लेना कि जब उसके पास समय था, तब उसने मनमानी की, काम नहीं किया, अंधा बनकर ऐय्याशी करता रहा, सच जानकर भी चुप रहा, और किसी की नहीं सुनी — यहां तक कि अपने मन की भी नहीं.”
Life lessons from Chanakya Niti: गलतियों की ये श्रृंखला बनती है पतन का रास्ता

- मनमानी करना
जब इंसान अपने विवेक और अनुभव को छोड़कर सिर्फ अपने अहंकार और मन की मर्जी से चलने लगता है, तब वह सही-गलत की पहचान खो देता है. चाणक्य मानते थे कि अनुशासन और संयम जीवन का मूल हैं. - काम ना करना
समय रहते अगर कोई अपने लक्ष्य की ओर मेहनत नहीं करता, तो भविष्य में पछतावे के सिवा कुछ नहीं बचता. आलस्य सबसे बड़ा शत्रु है. - ऐय्याशी में डूब जाना
भोग-विलास में लिप्त होकर इंसान अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लेता है. यह धीरे-धीरे उसे मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से खोखला कर देता है. - सच जानकर भी मौन रहना
अगर कोई व्यक्ति अन्याय, छल या गलत को होते हुए देखता है और फिर भी चुप रहता है, तो वह भी उस अपराध में भागीदार बन जाता है. - किसी की बात ना सुनना
आलोचना, सलाह या मार्गदर्शन सुनने का गुण ही एक इंसान को बेहतर बनाता है. लेकिन जब कोई अपनी ही सोच को सर्वोच्च मानने लगता है, तब वो सीखना बंद कर देता है और वहीं से उसके पतन की शुरुआत होती है.
चाणक्य की ये बातें आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी प्राचीन काल में थीं. उनका मानना था कि इंसान अगर समय रहते चेत जाए और अपने कर्मों पर ध्यान दे, तो वह बर्बादी से बच सकता है. इसलिए जरूरी है कि हम अपनी गलतियों को स्वीकारें, उनसे सीखें और जीवन में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाएं.
“समय का सदुपयोग करना ही सफलता की पहली सीढ़ी है.” – चाणक्य
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