Chanakya Niti: जीवन में सुख और शांति पाना हर इंसान की चाहत होती है, लेकिन कई बार हमारी अपनी कमज़ोरियां ही दुख और परेशानी का कारण बन जाती हैं. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में ऐसे अनेक दुर्गुणों का ज़िक्र किया है, जो इंसान को पतन की ओर ले जाते हैं. इनमें सबसे बड़ा दोष है ‘लोभ’, जिसे हर पाप और दुख की जड़ माना गया है.
Chanakya Niti Quotes: जीवन की हर समस्या का मूल कारण है ये एक दुर्गुण – लोभ
“लोभ से क्रोध उत्पन्न होता है,
लोभ से कामनाएं उत्पन्न होती हैं,
लोभ से मोह और नाश उत्पन्न होता है.
वस्तुतः लोभ पाप का कारण है.”
– आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य की इस बात में जीवन का गहरा सत्य छिपा हुआ है. लोभ यानी लालच इंसान की इच्छाओं को बढ़ा देता है और यही लोभ से भरी इच्छाएं उसे गलत रास्ते पर ले जाती हैं.
Chanakya Niti: चाणक्य नीति के अनुसार लोभ कैसे हर पाप और दुख का मूल कारण बनता है – जानें
1. लोभ से जन्म लेता है क्रोध
जब इंसान लालच में अंधा होकर अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाता, तो उसमें असंतोष और गुस्सा उत्पन्न होता है. यही क्रोध रिश्तों को बिगाड़ता है और जीवन को अशांत बना देता है.
2. लोभ से बढ़ती हैं कामनाएं
लोभी व्यक्ति की इच्छाओं की कोई सीमा नहीं होती. जितना पाता है, उससे अधिक पाने की चाह उसे चैन से जीने नहीं देती. कामनाओं की यह दौड़ अंततः इंसान को थका देती है और उसे दुखी बना देती है.
3. लोभ से मोह और आसक्ति
लालच व्यक्ति को भौतिक सुख-सुविधाओं और संबंधों में बांध देता है. यह मोह उसे स्वतंत्र नहीं रहने देता और जब यह बंधन टूटता है तो मनुष्य दुखी हो जाता है.
4. लोभ से होता है पतन
अत्यधिक लालच व्यक्ति को गलत कार्यों की ओर धकेल देता है. धोखा, छल, चोरी और भ्रष्टाचार जैसी बुराइयों की जड़ लोभ ही है. यही कारण है कि आचार्य चाणक्य ने कहा कि लोभ हर पाप और दुख का मुख्य कारण है.
चाणक्य नीति आज भी उतनी ही प्रासंगिक है. यदि इंसान अपने जीवन से लोभ को दूर कर दे, तो वह न केवल पाप से बचेगा बल्कि सच्चे सुख और शांति को भी प्राप्त करेगा.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता

