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Chanakya Niti: कॉम्पिटिशन ने छीनी ली है मानसिक शांति, चाणक्य ने दे दी बड़ी चेतावनी

Chanakya Niti: आज के प्रतिस्पर्धा भरे दौर में हर व्यक्ति खुद की तुलना दूसरों से कर रहा है, जिससे मानसिक दबाव और असंतोष बढ़ रहा है. चाणक्य नीति इस मानसिकता पर गहरी सीख देती है और बताती है कि बराबरी की होड़ ही दुख का सबसे बड़ा कारण है. यह लेख आधुनिक समाज में तुलना की प्रवृत्ति और मानसिक शांति के उपायों पर प्रकाश डालता है.

Chanakya Niti: प्रतियोगिता के जमाने में आज हर व्यक्ति खुद की तुलना दूसरों से करने लगा है. कोई किसी के पद से अपने को तुलना कर रहा है तो कोई पैसों से, तो कोई सामाजिक रुतबे से. इसी मानसिकता पर चाणक्य नीति एक गहरी सीख देती है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति हर किसी से बराबरी करना चाहता है, वही सबसे अधिक दुखी रहता है.

बराबरी की दौड़ और बढ़ाता है मानसिक दबाव

चाणक्य ही नहीं कई विशेषज्ञों का भी मानना है कि जब इंसान अपने जीवन की तुलना दूसरों से करने लगता है, तब वह अपनी क्षमताओं और सीमाओं को भूल जाता है. सोशल मीडिया के इस युग में यह समस्या और भी गंभीर हो गई है. किसी की नौकरी, किसी का घर, किसी की शादी या सफलता हर चीज तुलना का विषय बन गई है. चाणक्य नीति स्पष्ट करती है कि हर व्यक्ति का जीवन, उसकी परिस्थितियां और उसका संघर्ष अलग होता है. ऐसे में बराबरी की चाह स्वाभाविक नहीं, बल्कि आत्मघाती है.

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क्या कहना है चाणक्य का

आचार्य चाणक्य के अनुसार, “जो व्यक्ति स्वयं को दूसरों के समान सिद्ध करने में लगा रहता है, वह न तो स्वयं को जान पाता है और न ही सुख प्राप्त कर पाता है.” उनका मानना था कि संतोष और आत्मबोध ही सच्चे सुख की कुंजी है. बराबरी की होड़ व्यक्ति को ईर्ष्या, क्रोध और असंतोष की ओर ले जाती है.

समाज में दिखता है असर

आज के समय में तनाव, अवसाद और निराशा आम हो चली है. इन मामलों बढ़ने के पीछे यही सोच एक बड़ा कारण मानी जा रही है. युवा वर्ग खास तौर पर इससे प्रभावित है. करियर, सैलरी और सामाजिक पहचान की तुलना उन्हें अंदर ही अंदर तोड़ रही है.

समाधान क्या है?

चाणक्य नीति हमें सिखाती है कि दूसरों से तुलना करने के बजाय खुद को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए. अपनी क्षमता, मेहनत और लक्ष्य पर विश्वास रखने वाला व्यक्ति ही स्थायी सुख और सफलता प्राप्त करता है.

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Sameer Oraon
Sameer Oraon
इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मीडिया से बीबीए मीडिया में ग्रेजुएट होने के बाद साल 2019 में भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया. 5 साल से अधिक समय से प्रभात खबर में डिजिटल पत्रकार के रूप में कार्यरत हूं. इससे पहले डेली हंट में भी बतौर प्रूफ रीडर एसोसिएट के रूप में भी काम किया. झारखंड के सभी समसमायिक मुद्दे खासकर राजनीति, लाइफ स्टाइल, हेल्थ से जुड़े विषय पर लिखने और पढ़ने में गहरी रूचि है. तीन साल से अधिक समय से झारखंड डेस्क पर काम किया. फिर लंबे समय तक लाइफ स्टाइल डेस्क पर भी काम किया. इसके अलावा स्पोर्ट्स में भी गहरी रूचि है.

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