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क्या एसिडिटी होने पर आप खुद दवा लेते हैं ? पहले जान लें कितना खतरनाक है यह कदम…

पेट का एसिड प्राथमिक पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन बी12 जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को अवशोषित करने में सहायता करता है. पेट में एसिड की कमी पोषक तत्वों की कमी और जीवाणु संक्रमण की बढ़ती संवेदनशीलता के समान है.

एसिडिटी की समस्या आज के समय में महामारी का रूप ले चुकी है. कंट्री डिलाइट और इंडियन डायटेटिक एसोसिएशन, मुंबई द्वारा किये गये एक अभूतपूर्व अध्ययन में यह बात उभरकर सामने आई है कि 70 प्रतिशत लोग विभिन्न पाचन समस्याओं से पीड़ित हैं, जिसमें एसिडिटी सबसे प्रमुख चिंता का विषय है.  

जीईआरडी बन सकता है परेशानी का सबब

उत्तर प्रदेश के चार गांवों में इसी तरह  के किए गए एक सर्वेक्षण में यह चौंकाने वाला तथ्य उभरकर आया है कि 10.7 प्रतिशत लोगों को जीईआरडी है. जीईआरडी दीर्घकालिक पाचन संबंधी रोग है, जो बड़ी परेशानी का कारण बन जाता है. यह परेशानी तब होती है जब पेट में मौजूद एसिड या भोजन के तत्व भोजन नली में वापस आ जाते हैं.

हाइपरएसिडिटी की समस्या का हुआ है देश भर में विस्तार

एसिडिटी के खिलाफ लड़ाई में उत्तर प्रदेश एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है, जो भारतीय आबादी के 10-30 प्रतिशत को प्रभावित करती हैं. प्रतिष्ठित सर्जन और आईएमए, गोरखपुर के अध्यक्ष डॉ एसएस शाही ने एसिडिटी की बढ़ती समस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा, हाइपरएसिडिटी की समस्या भारत में व्यापक रूप से फैली हुई है, यहां के 10-30 प्रतिशत लोग इससे प्रभावित हैं और उत्तर प्रदेश इस मामले में सबसे आगे है. उनके विचार में, आहार संबंधी आदतें, नींद का अनियमित पैटर्न और तनाव जैसे जीवनशैली से संबंधित कारक इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. चिंताजनक बात यह है कि आधे मरीज या तो अपनी मर्जी से ही कोई दवाई खा लेते हैं या दवाई की दुकान पर जाकर दुकानदार के कहने पर किसी दवाई का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन यह स्थिति बहुत ही खतरनाक है, क्योंकि एसिडिटी से संबंधित जटिलताओं को रोकने के लिए पेशेवर चिकित्सों से परामर्श लेना बहुत महत्वपूर्ण है.

दवाओं के चयन में बरतें सावधानी

डॉ शाही ने जोर देकर कहा, एसिडिटी के प्रबंधन के लिए दवाओं का सावधानीपूर्वक चयन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुछ दवाएं पेट में आवश्यक एसिड उत्पादन में बाधा डाल सकती हैं, जिससे संभावित नुकसान हो सकता है. एसिड से संबंधित विकारों से बचाव के लिए, डॉक्टर अक्सर रैनिटिडिन की सलाह देते हैं, जो एक विश्वसनीय ओवर-द-काउंटर दवा है जो चार दशकों से अधिक समय से कसौटी पर खरी उतर रही है.

स्वस्थ जीवनशैली से लाभ

 प्रख्यात गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ अविनाश सिंह ने एसिडिटी के प्रबंधन के लिए एक सर्वांगीण दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा, एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और नियमित रूप से वर्कआउट करने के अलावा, हमें दवा के चुनाव में सावधानी बरतनी चाहिए. ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं जहां व्यक्ति अनजाने में एसिड को दबाने वाली दवाइयां ले लेते हैं, जो संभावित रूप से हानिकारक हो सकती हैं. उपलब्ध दवाओं की श्रृंखला में, रैनिटिडिन पेट में एसिड के स्तर को संतुलित बनाए रखते हुए एसिड उत्पादन को कम करके सीने में जलन के लक्षणों से बहुत जरूरी राहत प्रदान करती है.

पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं पेट के एसिड

पेट का एसिड प्राथमिक पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन बी12 जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को अवशोषित करने में सहायता करता है. पेट में एसिड की कमी पोषक तत्वों की कमी और जीवाणु संक्रमण की बढ़ती संवेदनशीलता के समान है.  यह व्यापक अध्ययन भारत में एसिडिटी से जुड़े विकारों की गंभीरता और उनके उल्लेखनीय प्रसार पर प्रकाश डालता है. रैनिटिडिन जैसे उचित समाधानों के बारे में लोगों को जागरूक करके और दवा के प्रति विवेकपूर्ण रवैया विकसित करके, स्वास्थ्य विशेषज्ञ आम जनता पर इन स्थितियों के प्रभाव को कम करने का प्रयास करते हैं. 

एसिडिटी का उपचार

  •  70 प्रतिशत भारतीयों को पाचन स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें एसिडिटी एक प्रमुख चिंता का विषय है. विशेषज्ञ  रैनिटिडिन का समर्थन करते हैं, यह पाचन तंत्र को प्रभावित किए बिना एसिडिटी से राहत देती है

  •  रैनिटिडिन की विरासत 4 दशकों से अधिक की है, जो इसकी विश्वसनीयता सुनिश्चित करती है।

  •  नियमित व्यायाम, मसालेदार और जंक फूड से परहेज और शरीर में जल का पर्याप्त स्तर बनाए रखना जैसे निवारक उपायों को अपनाना.

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एसिडिटी में क्या खाएं

एसिडिटी की समस्या से निजात पाने के लिए आपको अपने भोजन में सलाद, गाजर, गोभी, शिमला मिर्च, खीरा, अंगूर, खरबूजा और पपीता जैसे फल को शामिल करना चाहिए . इसके अलावा अंडा, दूध, दही, पनीर, सोया जैसे प्रोटीन युक्त भोजन से भी लाभ मिलता है. एसिडिटी में ग्रीन टी का सेवन करना फायदेमंद होता है. इससे पेट की गर्मी भी कम होती है. साथ ही अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए.

एसिडिटी में क्या नहीं खाएं

जो व्यक्ति एसिडिटी की समस्या से परेशान हों, उन्हें अपने भोजन में कुछ खास चीजों से परहेज करना चाहिए, क्योंकि ये आपकी समस्या को और बढ़ा सकते हैं. जितना हो सके मसालेदार और तली हुई चीजों से बचें, ये आहार एसिडिटी को बढ़ा सकते हैं. चाय- कॉफी से बचें क्योंकि इनमें उत्तेजक तत्व कैफीन की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो एसिडिटी को बढ़ा सकते हैं. इसलिए, इन दोनों के सेवन से बचें. फास्ट फूड,चिप्स और फ्रेंच फ्राइज अधिक मसालेदार होते हैं और तले हुए होते हैं, जो एसिडिटी को बढ़ा सकते हैं, इसलिए इनका सेवन भी ना करें. शराब और सिगरेट के सेवन से भी बचना चाहिए क्योंकि इस तरह की चीजें पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाती हैं.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Prabhat Khabar Digital Desk
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