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Cochlear Implant से चार साल के मूक-बधिर बच्चे की बदल गई जिंदगी, सरकार के सहयोग से फ्री में ऑपरेशन

विश्व बधिर संघ (डब्ल्यूएफडी) की ओर से वर्ष 1958 से विश्व मूक-बधिर दिवस की शुरुआत की गई थी. इस मौके पर केंद्र सरकार के सहयोग से बिहार के समस्तीपुर जिले में चार साल के एक बच्चे का फ्री में कॉक्लियर इम्पलांट सर्जरी की गई.

Cochlear Implant : भारत में मूक-बधिर बच्चों की संख्या काफी है. मूक-बधिरों के सम्मान में भारत सरकार की ओर से हर साल मूक-बधिर दिवस मनाया जाता है. अभी कुछ दिन पहले भी विश्व मूक-बधिर दिवस आयोजित किया गया. विश्व बधिर संघ (डब्ल्यूएफडी) की ओर से वर्ष 1958 से विश्व मूक-बधिर दिवस की शुरुआत की गई थी. इस मौके पर केंद्र सरकार के सहयोग से बिहार के समस्तीपुर जिले में चार साल के एक बच्चे का फ्री में कॉक्लियर इम्पलांट सर्जरी की गई.

बिहार की राजधानी पटना स्थित पारस एचएमआरआई के ईएनटी सर्जन और ऑटोलॉजिस्ट डॉ अभिनीत लाल ने बताया कि करीब दो-ढाई घंटे तक चली सर्जरी में चार साल के मूक-बधिर बच्चे कॉक्लियर इम्पलांट किया गया. बच्चे को तीन दिन अस्पताल में रखने के बाद अब डिस्चार्ज कर दिया गया. अब कुछ दिनों के बाद बच्चे को टांका काटने के लिए अस्पताल आना होगा.

उन्होंने बताया कि इस सर्जरी के बाद धीरे-धीरे बच्चा सामान्य बच्चे की तरह सुन और बोल सकेगा. हालांकि, कॉक्लियर इम्पलांट सर्जरी करने और उसके बाद के इलाज पर करीब छह लाख रुपए से अधिक का खर्च होता है, लेकिन सरकार की योजना के तहत बच्चे का मुफ्त में सारा इलाज किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार की योजना के तहत मूक-बधिर बच्चे का सही इलाज तभी संभव हो पाता है, जब पीड़ित बच्चा सही उम्र में डॉक्टर के पास पहुंच जाए.

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मेडिकल साइंस का बहुत बड़ा योगदान

डॉ अभिनीत लाल ने बताया कि कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी में मेडिकल साइंस का बहुत बड़ा योगदान है. यह डिवाइस बच्चों को मूक-बधिर होने से बचाकर एक सामान्य जीवन जीने का मौका देता है. विश्व भर में तकरीबन एक लाख बच्चे इस मशीन की वजह से सामान्य जीवन जी रहे हैं. आवश्यकता इस बात की है कि लोगों के बीच इसे लेकर जागरूकता आए, ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद तक यह डिवाइस पहुंच पाए, ताकि बच्चे सामान्य जीवन गुजार सकें.

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