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sholay @ 50:कई निर्माताओं को ‘शोले’का आइडिया सुनाया, मगर कोई तैयार नहीं हुआ :जावेद अख्तर

शोले फिल्म की मेकिंग से जुड़ी दिलचस्प जानकारी लेखक जावेद अख्तर ने इस इंटरव्यू में सांझा की है

sholay @ 50:हिंदी सिनेमा के इतिहास की टाइमलेस फिल्म ‘शोले’ की कहानी, पटकथा व संवाद लिखने वाले जावेद अख्तर ने शोले के आज पचास साल पूरे होने पर फिल्म से जुड़ी कई यादें साझा की हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश

रमेश सिप्पी का कहना है कि शोले के कांसेप्ट को सुनकर ही उन्होंने हां कह दिया था?

हां, लेकिन उनसे पहले हमने कई निर्माताओं को यह कहानी सुनायी थी, मगर वे अक्सर दूसरी स्क्रिप्ट सुनने की बात कह देते थे. जीपी सिप्पी और रमेश सिप्पी को भी हमने ‘शोले’ का लगभग 20 मिनट का कॉन्सेप्ट सुनाया था, जिसके बाद उन्हें फिल्म ‘मजबूर’ की स्क्रिप्ट भी सुनायी. दोनों ही कहानियां उन्हें पसंद आयीं, लेकिन जीपी सिप्पी ‘शोले’ के साथ आगे बढ़ना चाहते थे. उन्हें बड़े बजट की जिस फिल्म की तलाश थी, उसकी संभावना ‘शोले’ में नजर आयी.

‘शोले’को अकीरा कुरुसोवा की फिल्म ‘सेवन समुराई, वन्स अपॉन इन टाइम इन वेस्ट’सहित कई फिल्मों से प्रेरित बताया जाता रहा है?

हमारे यहां ये सोच आम है. आप किसी चीज को ओरिजिनल तभी मानते हैं, जब उसका ऑरिजिन न ढूंढ पायें. बात ये नहीं आपने इंस्पिरेशन कहां से ली है, बल्कि ये है कि उसे कितनी दूर तक ले गये हैं. मुझे लगता है कि हम शोले को बहुत दूर तक ले गये, तभी 50 साल बाद भी लोग इसे याद कर रहे हैं. एडवर्टिजमेंट, सिटकॉम, स्टैंडअप शोज से लेकर राजनीतिक रैलियों तक में ‘शोले’ के डायलॉग्स आज भी बार-बार दोहराये जाते हैं.

शोले को शुरुआत में लोगों ने नकार दिया था. उसे कैसे याद करते हैं?

फिल्म शुक्रवार को रिलीज हुई थी और बुधवार को एक ट्रेड पत्रिका में खबर आयी कि शोले फिल्म क्यों फ्लॉप हुई. बाकायदा यह लिखा हुआ था कि इस फिल्म में कुछ भी नहीं है, जो दर्शक इसे पसंद करेंगे. इसका इमोशन्स नेगेटिव हैं. फिल्म में इतने बड़े-बड़े एक्टर्स के सामने एक न्यूकमर को आप कैसे विलेन बना सकते हैं? ट्रेड मैगजीन ही नहीं, इंडस्ट्री में कई लोगों ने फिल्म के खिलाफ बहुत कुछ बोला था. उस वक्त के एक बड़े सुपरस्टार ने तो मुझे कहा था कि वो जय की मौसी के सामने अपने दोस्त की शादी की बात करना कितना नेगेटिव है. कोई फ्रेंड ऐसा नहीं करेगा. मतलब लोग सेंस ऑफ ह्यूमर को भी समझना नहीं चाहते थे. हैरानी की बात है कि वही सबसे ज्यादा लोगों को पसंद आयी. गब्बर सिंह हिंदी सिनेमा का सबसे आइकोनिक विलेन माना जाता है. वहीं, फिल्म जब हाउसफुल होने लगी थी, तब भी इंडस्ट्री के कई लोग बोल रहे थे, जीपी सिप्पी टिकटें खरीद रहे हैं, दर्शक नहीं. मगर जब फिल्म ने कमाई के सारे रिकार्ड्स तोड़ दिये तो सबकी जुबानें बंद हो गयीं.

क्या ये सही है कि अमिताभ की एंट्री आप लोगों ने करवाई थी और ठाकुर बलदेव सिंह की भूमिका के लिए संजीव कुमार नहीं, दिलीप कुमार ओरिजिनल चॉइस थे?

हां, क्योंकि हम अमिताभ के टैलेंट से वाकिफ थे. हमने जंजीर लिखी थी, तो हमें पता था कि वह इस रोल के लिए सबसे मुनासिब रहेंगे. जब शोले बन रही थी. उस वक्त अमिताभ उतने बड़े स्टार नहीं थे, पर जब अगस्त में शोले रिलीज हुई, उसी साल जनवरी में दीवार रिलीज हो चुकी थी और शोले की रिलीज से पहले अमिताभ भी बड़े स्टार बन चुके थे. जहां तक दिलीप कुमार की बात है, हां, उस वक्त तो उन्होंने फिल्म को मना कर दिया था, पर जब फिल्म रिलीज हो गयी, कुछ वर्षों बाद उन्होंने सलीम साहब से कहा था कि उन्हें फिल्म से नहीं जुड़ने का रिग्रेट रहेगा.

फिल्म में अमिताभ-धर्मेंद्र के बीच सिक्का उछालकर फैसला करने का आइडिया किसका था?

सलीम साहब का ही आइडिया था. दीवार में बिल्ला नंबर 786 उनका आइडिया था और शोले में भी जय के किरदार को सिक्का देने का आइडिया उनका ही था.

बीते साल आपकी और सलीम साहब की डॉक्यूमेंट्री ‘द एंग्री यंग मेन’ की रिलीज के वक्त शोले को री-रिलीज किया गया था, जो उस वक़्त भी हाउसफुल रही?

हां, उस स्क्रीनिंग का हिस्सा मैं भी था. साल 1975 में जैसे हर किरदार की एंट्री में दर्शकों का शोर होता था, वही शोर 2024 में भी देखा था. किरदारों के डायलॉग बोलने से पहले ही दर्शक उन्हें दोहरा रहे थे. जहां तक प्रासंगिकता की बात है, यह फिल्म कभी आउटडेटेड नहीं हुई है. यह टाइमलेस है. फिल्म की स्क्रिप्ट को इसका श्रेय निश्चित तौर पर जाता है, पर कलाकारों के परफॉरमेंस, निर्देशक रमेश सिप्पी और कैमरामैन द्वारका दीवेचा सहित हर उस शख्स की तारीफ बनती है, जो इस फिल्म से जुड़े हुए थे. घोड़े की देखभाल करने वाले लोगों से कैंटीन में काम करने वाले तक हर कोई.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 14 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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