the bengal files :द बंगाल फाइल्स सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. विवेक रंजन अग्निहोत्री निर्देशित इस फिल्म का हिस्सा अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती भी हैं. वह इस फिल्म से जुड़ने का पूरा क्रेडिट विवेक को देते हुए कहते हैं कि विवेक की हर फिल्म में कोई ना कोई मैसेज होता है.वह हर विषय पर बहुत ही ज्यादा रिसर्च करता है. मेरे हिसाब से वह भारत के बेहतरीन निर्देशकों में से एक है. उर्मिला कोरी के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश
क्या विवेक अग्निहोत्री की फिल्म को हां कहना आसान होता है ?
इस बार मैंने ना बोला था.विवेक हमेशा से मुझे ध्यान में रखकर किरदार लिखता है. जब बंगाल फाइल्स के लिए उसने मुझे अप्रोच किया तो किरदार के बारे में जानने के बाद मैंने उसे यह कहते हुए मना कर दिया कि यह किरदार बहुत ही ज्यादा चैलेंजिंग है. मुझसे नहीं हो पायेगा. विवेक ने भी साफ़ कह दिया था कि दादा अगर आप इस किरदार को करने से मना करेंगे तो यह किरदार फिल्म से हटा दूंगा. यह एक ऐसे इंसान का किरदार है, जिसे लोग पागल कहते हैं. सड़क पर रहता है. वह कुछ भी उठा कर खाता है.वह ठीक से बोल नहीं पाता है क्योंकि नोआखली की त्रासदी में उसकी जुबान को जला दिया गया, तो किरदार किस तरह से तुतला कर बात करेगा. मुझे इस पर काम करना था.वह आसान नहीं था.बहुत मुश्किल हुई.
फिल्म का नाम दिल्ली फाइल्स से बंगाल फाइल्स करने की क्या वजह थी ?
फिल्म की कहानी बंगाल की ही थी. फिल्म का नाम शुरुआत में दिल्ली फाइल्स था क्योंकि दिल्ली के एक फाइल्स से नोआखली की उस त्रासदी की बात सामने आती है.यह बंगाल की घटना थी तो फिल्म की मेकिंग के दौरान मेकर्स को लगा कि यह कहानी बंगाल की है तो दिल्ली फाइल्स रखना सही नहीं होगा , जिसके बाद कहानी बदल गयी.
आप खुद बंगाल से हैं, नोआखली की त्रासदी को आप कितना जानते थे ?
नोआखली की घटना मेरे जन्म से पहले की बात है. मैं बंगाल से हूं लेकिन मुझे सिर्फ इसके बारे में कुछ लाइन ही मालुम थी कि नोआखली में हत्याएं हुई थी. मेरे बाद की जो जेनरेशन्स हुई हैं. आप उनको भी पूछोगे तो उनको नहीं पता है कि आखिरकार नोआखली की त्रासदी में हुआ क्या था.वह बहुत बड़ी घटना था. नरसंहार हुआ था. 40 हज़ार लोगों की जाने गयी थी लेकिन इसके बारे में कभी पढ़ाया नहीं गया। बताया नहीं गया, बल्कि छुपाया गया है. ग्रेट कोलकाता किलिंग में भी वही हुआ था.
फिल्म को कई लोग प्रोपेगेंडा करार दे रहे हैं ?
सच बोलना क्या प्रोपेगेंडा हो जाता है. क्या हमारे जनरेशन को नहीं मालूम नहीं होनी चाहिए. यह इतिहास है. जिसे सभी को मालूम होना चाहिए. सच कहूं तो मुझे इस फिल्म से जुडी कंट्रोवर्सी की बात समझ ही नहीं आ रही है. सच दिखाने पर कंट्रोवर्सी कैसे हो सकती है. वैसे ये सेक्युलर और स्यूडो इंटेलेक्चुअल लोगों का ड्रामा है.ये ऐसे सेक्युलर है,जो बीफ खाएंगे लेकिन सूअर नहीं और सिर्फ हिन्दू को गालियां देंगे. ये दोनों लोग देश के लिए सबसे खतरनाक है.
कोलकाता में ट्रेलर लांच पर काफी विवाद हुआ था ?
बिना ट्रेलर देखे. आप विवाद कैसे कर सकते हैं.इसी से आप विवाद करने वाले लोगों की सोच को समझ सकते हैं.फिल्म आजादी से पहले के नरसंहार को दिखा रही है.इससे किसको को भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए , बल्कि सभी को ये फिल्म देखनी चाहिए
आप लगातार फिल्मों में सक्रिय है, क्या कोई ऐसी भूमिका है जो अभी भी निभाने की ख्वाहिश है ?
मैं हमेशा खुद को हर किरदार के साथ चुनौती देना चाहता हूं.मैं खुद को रिपीट नहीं करना चाहता हूं. मैं अलग अलग किरदार करना चाहता हूं. वैसे मेरी दिली ख्वाहिश महान क्रांतिकारी चे ग्वेरा को परदे पर जीने की है.
आपकी आनेवाली फिल्में ?
प्रभास के साथ फिल्म फौजी है और रजनीकांत के साथ जेलर 2

