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इनसे जानिए…कैसे बदला झॉलीवुड का चेहरा

नागपुरी फिल्मों की दुनिया 1992 से शुरू हुई. पहली नागपुरी फिल्म सोना कर नागपुर से शुरू हुआ यह सफर अब काफी लंबी दूरी तय कर चुका है. 1992 के बाद से झॉलीवुड का चेहरा धीरे-धीरे बदला और अब यह ऊंचाई पर है. आइए जानते हैं आखिर कैसे बदला झॉलीवुड का चेहरा… झॉलीवुड इंडस्ट्री का तेजी […]

नागपुरी फिल्मों की दुनिया 1992 से शुरू हुई. पहली नागपुरी फिल्म सोना कर नागपुर से शुरू हुआ यह सफर अब काफी लंबी दूरी तय कर चुका है. 1992 के बाद से झॉलीवुड का चेहरा धीरे-धीरे बदला और अब यह ऊंचाई पर है. आइए जानते हैं आखिर कैसे बदला झॉलीवुड का चेहरा…

झॉलीवुड इंडस्ट्री का तेजी से हो रहा विकास : काजल मुंडू
डायरेक्ट, राइटर और एक्टर काजल मुंडू का कहना है कि झॉलीवुड इंडस्ट्री में अब सभी चीजें उपलब्ध हैं, जो बॉलीवुड के बड़े बैनर की फिल्मों में होती हैं. हमारे यहां स्क्रिप्ट राइटर से लेकर कूक तक की बड़ी टीम काम करती है. झॉलीवुड में भी प्री-प्रोडक्शन, प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन होता है. रेड कैमरा का इस्तेमाल किया जा रहा है़ मायानगरी मुंबई की तरह ही अपनी इंडस्ट्री में भी सभी सुविधाएं उपलब्ध हो गयी हैं. इंडस्ट्री का तेजी से विकास हो रहा है.
कलाकारों को बेहतर ड्रेसिंग टच देना जरूरी : मिलन कुमारी
कॉस्ट्यूम डिजाइनर मिलन कुमारी कहती हैं : झॉलीवुड को भी बॉलीवुड की तरह निखारना है. कॉस्ट्यूम डिजाइनर के रूप में करियर शुरू करनेवाली मिलन कहती हैं : मुझे लगा कि झॉलीवुड के एक्टर-एक्ट्रेस और पूरे सेट के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन करना जाहिए़ पहले इसकी कमी खलती थी़ हमारे कलाकारों को भी सही ड्रेसिंग का टच देना जरूरी है. जब फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही थी तभी सोच लिया था कि कलाकारों के लिए डिजाइनिंग करूंगी. अब चेहरा बदल गया है.
अब झॉलीवुड पूरी तरह से हाइटेक हो चुका है : राजेश राज
सिंगर राजेश राज कहते हैं : मैं 2004 से 200 एलबम बना चुका हूं. अब हमारा झॉलीवुड पूरी तरह से फिल्मी हो गया है. पहले लोग बमुश्किल एक एलबम या फिल्म बना पाते थे़ अब यहां की फिल्में तकनीकी रूप से मजबूत हो गयी हैं. हम जैसे कलाकारों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म भी मिल गया है. 2019 यूट्यूब पर रिलीज हुआ मेरा गीत : गोरी ताेर चुनरी है लाल लाल… को 30 मिलियन ब्वूज मिल चुके हैं. हाल में ही हैल्लो कौन एलबम का नागपुरी वर्जन रिलीज हुआ है़ इसका श्रेय बदलाव को जाता है.
नागपुरी फिल्मों में लाइटिंग की चमक बढ़ी है : उमाशंकर
तकनीकी डायरेक्टर उमाशंकर झा ने बताया कि वह शुरुआती दौर में थियेटर मैं लाइटिंग करता था. धीरे-धीरे झॉलीवुड की फिल्मों की तरफ मुड़ा. उस समय यहां की फिल्में तकनीकी रूप से कमजोर थीं. आज यह स्थिति काफी बदल गयी है़ मैंने अपना पूरा जीवन नागपुरी इंडस्ट्री को समर्पित कर दिया. नागपुरी फिल्म टूअर का भी निर्माण किया़ लाइटिंग की तकनीक का इस्तेमाल किया़ बॉलीवुड फिल्मों की तरह ही झॉलीवुड में रेड लाइट की सुविधा शुरू हुई.
पहले सिर्फ एलबम का होता था निर्माण : चंदा मेहरा
एक्ट्रेस चंदा मेहरा कहती हैं : मैं पांच नागपुरी फिल्मों में काम कर चुकी हूं. फिल्म लोहरदगा मेें लीड रोल किया है. सपने साकार होते हैं और सलाम इंडिया जैसे सीरियलों में काम कर चुकी हूं. पहले थियेटर करती थी. हाल में ही मेरी नागपुरी फिल्म छाया आनेवाली है. पहले की तुलना में नागपुरी इंडस्ट्री में काफी सुविधाएं मिल रही हैं. पहले लोग फिल्में बनाना नहीं चाहते थे़ सिर्फ एलबम का निर्माण होता था़ अब इंडस्ट्री में बदलाव देखने को मिल रहा है. यहां की संस्कृति से जुड़ी फिल्में बन रही हैं.
Prabhat Khabar Digital Desk
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