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Mahabharat: बी आर चोपड़ा की ‘महाभारत’ में समय की आवाज़ के लिए दिलीप कुमार थे पहली पसंद

dilip kumar b r chopra mahabharata: लॉकडाउन के इस दौर में बी आर चोपड़ा (B R Chopra) का लोकप्रिय टीवी धारावाहिक 'महाभारत' (Mahabharat) एक बार फिर टीवी पर लौट आया है. स्टार भारत में धारावाहिक का प्रसारण किया जा रहा है. खास बात है कि इस धारावाहिक के कलाकारों के साथ साथ सूत्रधार मैं समय हूं यह भी काफी पॉपुलर हुआ था. समय को अपनी आवाज़ मशहूर वॉइस ओवर आर्टिस्ट हरीश भिमानी ने दिया था.

लॉकडाउन के इस दौर में बी आर चोपड़ा (B R Chopra) का लोकप्रिय टीवी धारावाहिक ‘महाभारत’ (Mahabharat) एक बार फिर टीवी पर लौट आया है. स्टार भारत में धारावाहिक का प्रसारण किया जा रहा है. खास बात है कि इस धारावाहिक के कलाकारों के साथ साथ सूत्रधार मैं समय हूं यह भी काफी पॉपुलर हुआ था. समय को अपनी आवाज़ मशहूर वॉइस ओवर आर्टिस्ट हरीश भिमानी ने दिया था. इस बात से हम सभी परिचित हैं लेकिन बहुत कम लोग यह बात जानते हैं कि मैं समय हूं इस आवाज़ के लिए बी आर चोपड़ा की पहली पसंद लीजेंड अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) थे.

इस बात की जानकारी खुद हरीश भिमानी देते हुए बताते हैं कि बी आर चोपड़ा दिलीप कुमार की आवाज़ इसके लिए इस्तेमाल करना चाहते थे. दिलीप कुमार उनके करीबी लोगों में से भी थे लेकिन दिलीप कुमार ने उन्हें समझाया कि किसी प्रोफेशनल वॉइस आर्टिस्ट की आवाज़ ज़्यादा सही रहेगी.

लेखक राही मासूम रज़ा को भी यह बात सही लगी. उसके बाद लगातार दो दिन तक बी आर चोपड़ा टीवी और रेडियो सुनते रहे और पास में एक ऐसा व्यक्ति बिठा रखा था. जो ये बता सके कि किसकी आवाज़ है. एक एड फ़िल्म में मेरी आवाज सुनकर बी आर चोपड़ा ने पूछा कि ये किसकी आवाज़ है. उन्हें मेरा नाम मालूम हुआ. फिर क्या था महाभारत के कास्टिंग डायरेक्टर गुफी पेंटल जी जो सीरियल में शकुनि का किरदार निभा रहे थे उन्होंने मुझे रिकॉर्डिंग के लिए बुलाया.

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आवाज़ पसंद थी अंदाज़ नहीं

हरीश भिमानी ने कहा,’ मुझे रात को दस बजे रिकॉर्डिंग के लिए बुलाया गया था मैंने मना किया. मैंने गुफी पेंटल को कहा कि शाम को सात बजे के बाद रिकॉर्डिंग नहीं करता क्योंकि मेरी आवाज थक जाती है. गुफी पेंटल ने कहा कि नखरे मत कर. सीधे आ जा. मैं रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुँच भी गया. वहां बी आर चोपड़ा, डॉक्टर राही मासूम रजा और पंडित नरेंद्र पंडित बैठे हुए थे. कुछ बताया नहीं गया बस समय की स्क्रिप्ट दी गयी और माइक पर बोलने को कहा गया. मैंने पढ़ा. किसी को पसंद नहीं आया.

राही मासूम रजा साहब ने कहा कि ऐसा लग रहा डॉक्यूमेंट्री पढ़ रहे हो. थोड़ा आराम से पढ़ो बेटा. तीन से चार बार पढ़ाया गया मुझसे फिर भेज दिया गया. फिर कुछ दिनों बाद गुफी जी का कॉल आया. फिर मुझसे ये स्क्रिप्ट पढ़वाई गयी लेकिन फिर रज़ा साहब को राजी नहीं हुए. मुझे फिर भेज दिया गया. फिर से कुछ दिन बाद बुलाया गया और वही सिलसिला शुरू. बुलाया जाता रिकॉर्डिंग के लिए फिर भेज दिया जाता. कुछ हफ्तों बाद मैंने पूछ ही लिया कि आखिर ये समय है क्या.

रज़ा साहब ने कहा कि ये महाभारत के समय की आवाज़ है. मैंने पूछा स्क्रीन पर क्या होगा. जवाब आया कुछ नहीं. काफी चर्चा हुई. रज़ा साहब ने दो टूक शब्दों में कहा आपकी आवाज पसंद है. अंदाज़ नहीं. अबकी बार मैं काफी सोच समझकर माइक पर गया. ये जेहन में चल रहा था कि ऐसा बोलूं जैसा आम इंसान नहीं बोलता हो. ऐसा कुछ जो ना आकशवाणी ना ईश्वर की आवाज़ बस समय की आवाज़. ये सोचकर जब मैंने रिकॉर्डिंग की तो वहां रिकॉर्डिंग में मौजूद लोगों के साथ साथ बाद में दर्शकों के दिलों में भी मेरी आवाज उतर गयी. समय की आवाज़ ने इतिहास रच दिया.

posted by: Budhmani Minj

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