नयी दिल्ली : वर्ष 2008 में नोएडा की एक हाउसिंग सोसायटी में हुए आरुषि-हेमराज दोहरे हत्याकांड के सबसे पहले जांच अधिकारी के साथ हुई एक भेंट ने विशाल भारद्वाज को ‘तलवार’ की कहानी लिखने के लिए प्रेरित किया. इरफान खान, कोंकणा सेन शर्मा, नीरज काबी ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं.
निर्देशक अकीरा कुरोसावा की ‘राशो-मोन’ से प्रेरणा लेते हुए विशाल ने इस मामले में सच खंगालने की कोशिश की. इस मामले में आरुषि के माता-पिता राजेश एवं नुपूर तलवार को दोषी ठहराया गया है. इस फिल्म का निर्देशन मेघना गुलजार ने किया है. इरफान का किरदार सीबीआई जांच अधिकारी के ईद गिर्द बुना गया है.
भारत में फिल्म के प्रथम प्रदर्शन के बाद भारद्वाज ने कहा, ‘ इस मामले में मैंने कुछ बातों को बडा ही दिलचस्प, विचित्र और परेशान करने वाला पाया. मैं ‘राशो-मोन’ का बहुत बडा प्रशंसक हूं. इससे मुझे पटकथा को सही तरीके लिखने की दिशा मिली.’ एक और बात जिसने भारद्वाज को परेशानी में डाला वह थी कि इस मामले में सभी आरुषि की हत्या की बात कर रहे थे लेकिन हेमराज के बारे में कोई नहीं सोच रहा था.
उन्होंने कहा, ‘गौरतलब है कि इससे (मामले) गुजरते हुए मेरी भावनाएं भी बनी होंगी लेकिन हम सभी के साथ निष्पक्ष रहना चाहते थे. हमने अपनी ओर से कुछ भी नहीं जोडा. यह बहुत ही कष्टदायक यात्रा थी और मैं यह सोच कर भी कांप उठता हूं कि यदि जो व्यवस्था हमारे पास है उसमें मैं या कोई अन्य फंस गया तो उसके साथ क्या होगा?’
वर्ष 2008 में राजेश और नुपूर की 14 साल की बेटी आरुषि नोएडा स्थित उनके घर में अपने कमरे में मृत पाई गई थी. हेमराज की लाश अगले दिन उसी घर की छत से मिली थी. इस मामले में आरुषि के माता-पिता को दोषी ठहराया गया था और वे अभी उत्तर प्रदेश की डासना जेल में हैं.