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Film Review: फिल्‍म देखने से पहले जानें कैसी है रितिक रोशन की ”Super 30”

II उर्मिला कोरी II फ़िल्म: सुपर 30 निर्माता: रितिक रोशननिर्देशक: विकास बहलकलाकार: रितिक रोशन,मृणाल,पंकज त्रिपाठी,अमित साध,आदित्य,नंदिश संधू और अन्यरेटिंग: तीन अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, राजा वो बनेगा जो हकदार होगा. ‘सुपर 30’ फ़िल्म की टैगलाइन में ही इस फ़िल्म का पूरा सारांश है. शिक्षा पर सभी का समान अधिकार हो फिर चाहे […]

II उर्मिला कोरी II

फ़िल्म: सुपर 30
निर्माता: रितिक रोशन
निर्देशक: विकास बहल
कलाकार: रितिक रोशन,मृणाल,पंकज त्रिपाठी,अमित साध,आदित्य,नंदिश संधू और अन्य
रेटिंग: तीन

अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, राजा वो बनेगा जो हकदार होगा. ‘सुपर 30’ फ़िल्म की टैगलाइन में ही इस फ़िल्म का पूरा सारांश है. शिक्षा पर सभी का समान अधिकार हो फिर चाहे वह बड़े बाप का बेटा हो या फिर गरीब का. फ़िल्म से जुड़ा यही संदेश इस फ़िल्म को खास बना देता है. यह कहानी है बिहार के चर्चित आनंद कुमार की जो आईआईटी का सपना देखने वाले गरीब तबके के होनहार बच्चों के सपनों को पूरा करने में उनकी मदद कर रहे हैं.फ़िल्म की कहानी की शुरुआत फ्लैशबैक में आनंद कुमार (रितिक रोशन) के संघर्ष से शुरू होती थी.

आनंद गणित में गोल्ड मेडलिस्ट है. बड़े से बड़े गणित के प्रश्नों का वह हल निकाल सकता है. अभावों में रहने के बावजूद उसकी इसी काबिलियत की वजह से उसे केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से दाखिले के लिए बुलावा आ जाता है लेकिन एक बार फिर उसके आगे गरीबी रोड़ा बनकर आ जाती है. पिता का साया भी छिन जाता है.

काबिल आनंद कुमार परिवार और अपना पेट पालने के लिए पापड़ बेचने के लिए मजबूर हो जाता है. इसी बीच लल्लन कुमार (आदित्य) की मुलाकात आनंद से होती है. वो आनंद की प्रतिभा से वाकिफ है. अपनी कोचिंग सेन्टर से जोड़ लेता है. कुछ समय में ही आनंद वहां का प्रीमियम टीचर बन जाता है. हर स्टूडेंट आनंद सर से पढ़ना चाहता है.

आनंद की ज़िंदगी भी पटरी पर आ जाती है. सभी तरफ से पैसों की बारिश हो रही है लेकिन इसी बीच आनंद कुमार को महसूस होता है कि वह सम्पन्न परिवार के लड़कों को और आगे बढ़ा रहा है और गुरु द्रोणाचार्य की तरह गरीब बच्चों का एकलव्य की तरह अंगूठा काट रहा है. उसकी सोच बदल जाती है और उन बच्चों को आईआइटियन्स बनाने में जुट जाता है जो अभावग्रस्त है. जिनके पास पैसे नहीं है महंगे कोचिंग के लिए.

आनंद कुमार के लिए यह सफर आसान नहीं होगा. भ्रष्ट शिक्षा मंत्री और उसके पावर से उसका मुकाबला है जिसे आनंद कुमार और गरीब बच्चों की जान लेने से भी गुरेज़ नहीं है. भ्रष्‍ट मंत्री के साथ-साथ गरीबी और भूख से भी उसकी जंग है. यह फ़िल्म की आगे की कहानी है. कुलमिलाकर हाथ आगे बढ़ाकर सूरज को हथेली में पकड़ लेने की प्रेरणादायी कहानी है. फ़िल्म की कहानी रियल है लेकिन उसका ट्रीटमेंट थोड़ा फिल्मी हो गया है.

बावजूद इसके अंडरडॉग्स के जिद और संघर्ष के जुनून की वजह से यह फ़िल्म बांधे रखती है. फ़िल्म शिक्षा माफिया के अलावा सरसरी तौर पर ही सही लेकिन दृश्य और संवाद के ज़रिये दूसरे अहम मुद्दों को भी छूती है.कोटा डॉक्टर यह संवाद हमने अब तक रील और रियल लाइफ दोनों में बहुत सुना है लेकिन इस फ़िल्म में डोनेशन वाला डॉक्टर कहकर उच्च तबके पर भी सवालिया निशान लगाया गया है.हमारे पुराण भी जातीय और सामाजिक भेद के हिमायती है. फ़िल्म का एक संवाद ये भी है.

अभिनय की बात करें तो रितिक की मेहनत किरदार को लेकर दिखती है. परदे पर पहली पर वह इस अंदाज में दिखे हैं.ऐसे में शुरुआती दृश्य में उनका लहजा और ज़रूरत से ज़्यादा लुक थोड़ा अखरता है लेकिन फ़िल्म जैसे जैसे आगे बढ़ती है.सबकुछ सहज हो जाता है.पंकज त्रिपाठी एक बार फिर उम्दा रहे हैं.उनका और आदित्य श्रीवास्तव का दृश्य बेहतरीन बन पड़ा है. पिता के रूप में वीरेंद्र सक्सेना का अभिनय दिल छूता है.मृणाल ठाकुर और अमित साध को कम ही स्पेस मिला है लेकिन वह उपस्थिति दर्शाने में कामयाब होते हैं.बच्चों का काम भी सराहनीय है. फ़िल्म के संवाद अच्छे बन पड़े हैं.

संगीत में मामला औसत वाला रह गया है. कुलमिलाकर असल नायक की यह प्रेरणादायी कहानी पर्दे पर देखी जानी चाहिए.

Prabhat Khabar Digital Desk
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