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स्मिता पाटिल-शबाना आजमी का अनकहा रिश्‍ता

स्मिता पाटिल का नाम सुनते ही जेहन मे एक छवि उभरती है साधारण सी साड़ी में लिपटी एक ऐसी अदाकारा जिन्‍होंने पर्दे पर अपने अभिनय का दम भरा. अभिनय ऐसा मानो जैसे किरदार का सच उनमें बसता हो. उनकी लफ्जों की नरमाई और आंखों की गहराई आज भी दर्शकों के दिलो-दिमाग में बसती है. ‘मिर्च […]

स्मिता पाटिल का नाम सुनते ही जेहन मे एक छवि उभरती है साधारण सी साड़ी में लिपटी एक ऐसी अदाकारा जिन्‍होंने पर्दे पर अपने अभिनय का दम भरा. अभिनय ऐसा मानो जैसे किरदार का सच उनमें बसता हो. उनकी लफ्जों की नरमाई और आंखों की गहराई आज भी दर्शकों के दिलो-दिमाग में बसती है. ‘मिर्च मसाला’ में अपनी नियति से लड़ती एक औरत हो या फिर सफेद साड़ी में फिसलने और रपटने की बात करनेवाली सादगी की मूरत, दोनों ही दमदार हैं. मात्र 12 साल के करियर में उनका सफर कभी मीठा तो कभी फीका रहा.

सांवली सूरत और बड़ी-बड़ी आंखों वाली स्मिता पाटिल अपना नाम सिनेमाई फलक पर अमिट कर गईं. स्मिता पाटिल का नाम आर्ट फिल्‍मों में शुमार किया जाता है लेकिन उन्‍होंने मसाला फिल्‍मों में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी.

स्मिता पाटिल के साथ-साथ शबाना आजमी भी उस दौर की मशहूर अदाकारा थीं. दोनों को एकदूसरे का मिरर इमेज कहा जाता था. 80 के दशक में दोनों एकदूसरे की प्रतिद्वंदी बरकरार रहीं. भले ही दोनों के बीच दूरियों का जिक्र किया जाता हो लेकिन दोनों के बीच एक अनकहा रिश्‍ता तो था.

स्मिता पाटिल की बायोग्राफी की लॉन्चिंग पर शबाना आज़मी ने स्मिता पाटिल के साथ उनके और अपने प्रेम-नफरत और प्रतिस्पर्धा से भरे अनुभव के बारे में बात की थी. उन्होंने कहा, ‘हम दोनों काम में हमेशा एक बेहतर पार्टनर रहीं लेकिन कभी अच्छी दोस्त नहीं.

हालांकि शबाना ने यह भी कहा था कि, ‘हां, मुझे बेहद पछतावा है कि मैंने स्मिता पाटिल के खिलाफ कठोर बातें कही थीं. अब मैं कभी ऐसा नहीं करूंगी. हम प्रतियोगी थे और दोस्‍त भी थे. हमारी आपस में बहुत दोस्‍ती भले ही नहीं रही लेकिन एकदूसरे के परिवार के प्रति वहीं आत्‍मीयता रखते थे. हमारी दूरियों का असर कभी भी हमारे परिवार पर नहीं पड़ा.’

शबाना आजमी ने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया था कि, फिल्‍म ‘बाजार’ की शूटिंग के दौरान स्मिता स्टार थीं. ऐसे में जाहिर तौर पर उनके लिए होटल का सबसे बड़ा और महंगा कमरा बुक किया गया था. उसी फिल्‍म में शबाना की मां शौकत कैफी भी काम कर रही थीं. स्मिता ने बिना शौकत की जानकारी के उन्‍हें अपने कमरे में शिफ्ट करवा दिया और खुद वे एक छोटे कमरे में चली गईं. हालांकि जब शौकत को इस बारे में पता चला तो उन्‍होंने इसे बदलवाना चाहा लेकिन स्मिता बिल्‍कुल तैयार नहीं हुईं.

शबाना कहती हैं,’ वे (स्मिता पाटिल) मेरे भाई की बहुत अच्छी दोस्त थीं और मेरी भी उनके परिवार के साथ बहुत अच्छी दोस्ती थी. लेकिन मुझे बार-बार अफसोस होता है कि मुझे स्मिता के बारे में कोई भी कठोर टिप्पणी नहीं करनी थी.’

गौरतलब है कि स्मिता पाटिल और शबाना आजमी ने अर्थ (1982), मंडी (1983), निशांत (1975), अलबर्ट पिंटो को गुस्‍सा क्‍यों आता है (1980) और ऊंच नीच बीच (1989) जैसी फिल्‍मों में साथ काम किया था.

Prabhat Khabar Digital Desk
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