बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा मीना कुमारी की आज 85वीं जयंती मनाई जा रही है. नशीली आंखों की मलिका मीना कुमारी ने अपनी दमदार अदाकारी से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई. उनकी फिल्में आज भी लोग श्रद्धाभाव से देखते हैं. हिंदी सिनेमा की सबसे दमदार अभिनेत्रियों में मीना कुमार का नाम शुमार है. उनकी फिल्मों को आज क्लासिक श्रेणी में रखा जाता है. लोग उन्हें मीना कुमारी के नाम से जानते हैं लेकिन उनका असली नाम महजबीन बेगम था.
मीना कुमार ने पर्दे पर दुखयारी महिला के कई किरदार निभाये, उन्हें फिल्मों में रोते हुए देखकर उनके प्रशंसकों की भी आंखों में आंसू निकल आते थे. यही कारण था कि हिंदी सिनेमा में वे ‘ट्रेजडी क्वीन’ के नाम से जानी गईं.
अनाथालय के बाहर छोड़ आये थे माता-पिता
मीना कुमारी अपने माता-पिता इकबाल बेगम और अली बक्श की तीसरी बेटी थीं. बताया जाता है कि जब मीना कुमारी का जन्म हुआ, तो उनके माता-पिता काफी तंगी से गुजर रहे थे. इसी के चलते उनके पिता उन्हें जन्म के समय ही अनाथालय में छोड़ आए थे. हालांकि, कुछ घंटे बाद वह मीना कुमारी को लेकर वापस घर भी आ गये. उनके पिता अली बक्श फिल्मों में और पारसी रंगमंच के एक मँजे हुये कलाकार थे. उनकी मां प्रभावती देवी (बाद में इकबाल बानो) भी एक मशहूर नृत्यांगना थी.
‘तीन तलाक’ और ‘हलाला’ का दर्द झेल चुकी हैं मीना कुमारी
मीना कुमारी ने फिल्म ‘पाकीजा’ के निर्देशक कमाल अमरोही से निकाह किया था. एक बार कमाल अमरोही ने गुस्से में आकर मीना कुमारी को तीन बार ‘तलाक’ बोल दिया और दोनों का तलाक हो गया. बाद में कमाल अमरोही को अपने किये पर पछतावा हुआ और उन्होंने मीना कुमारी से दोबारा निकाह करना चाहा. लेकिन तब इस्लामी धर्म गुरुओं ने बताया था कि इसके लिए पहले मीना कुमारी को ‘हलाला’ करना पड़ेगा. तब कमाल अमरोही ने मीना कुमारी का निकाह अमान उल्ला खान (जीनत अमान के पिता) से करवाई थी. मीना कुमारी को अपने नये शौहर के साथ हमबिस्तर होना पड़ा था.
‘मुझमें और वेश्या में क्या फर्क रहा ?’
इसके बाद मीना कुमारी को नये शौहर ने तलाक दिया और फिर कमाल अमरोही ने दोबारा मीना कुमारी से निकाह किया. मीना कुमारी ने लिखा था,’ जब धर्म के नाम पर मुझे अपने जिस्म को किसी दूसरे मर्द को सौंपना पड़ा तो फिर मुझमें और वेश्या में क्या फर्क रहा ?’ इस घटना के बाद मीना कुमारी पूरी तरह से टूट गई थी और शराब पीने लगी थी. मानसिक तनाव और शराब उनकी मौत का कारण बनी और उन्होंने सिर्फ 39 साल की उम्र में साल 1972 में इस दुनिया को हमेश-हमेशा के लिए अलविदा कह दिया.
महजबीन बेगम से बन गईं मीना कुमारी
कहा जाता है कि मीना कुमारी स्कूल जाना चाहती थी, लेकिन उनके पिता ने उन्हें बचपन से ही फिल्मी दुनिया में धकेल दिया. लेकिन महज 7 साल की मासूम उम्र में उन्हें फिल्मों में काम करना पड़ा और वे महजबीन से बेबी मीना बन गईं. मीना कुमारी की पहली फिल्म ‘फरजंद-ए-वतन’ नाम से 1939 में रिलीज हुई. उन्होंने साल 1949 की फिल्म ‘वीर घटोत्कच’ में मीना कुमारी के नाम से एक्टिंग की थी. 1952 में रिलीज हुई फिल्म ‘बैजू बावरा’ से मीना कुमारी को अभिनेत्री के रूप में पहचान मिली. इसके बाद उन्होंने ‘परिणीता’ (1953) , ‘आजाद’ (1955), ‘एक ही रास्ता’ (1956), ‘मिस मैरी’ (1957), ‘शारदा’ (1957), ‘कोहिनूर’ (1960) और ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ (1960) से पहचान मिली.