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कार्डियक अरेस्ट से हुई श्रीदेवी की मौत, जानिये कारण और बचाव के तरीके

नयी दिल्ली : सुबह – सुबह जब नींद खुली, तो एक हैरान करने वाली खबर इंतजार कर रही थी. श्रीदेवी मात्र 54 साल की उम्र में चली गयी. श्रीदेवी अपनी सेहत का खूब ध्यान रखती थीं. अचानक उनके जाने की खबर पर लोगों को विश्वास नहीं हुआ. श्रीदेवी की मौत हृदय गति रुकने से हो […]

नयी दिल्ली : सुबह – सुबह जब नींद खुली, तो एक हैरान करने वाली खबर इंतजार कर रही थी. श्रीदेवी मात्र 54 साल की उम्र में चली गयी. श्रीदेवी अपनी सेहत का खूब ध्यान रखती थीं. अचानक उनके जाने की खबर पर लोगों को विश्वास नहीं हुआ. श्रीदेवी की मौत हृदय गति रुकने से हो गयी. ध्यान रहे कि 5 दिसंबर 2016 को जयललिता की भी मौत हृदय गति रुकने से हो गयी थी. श्री देवी की मौत की खबर जितनी हैरान करने वाली है उतना ही हैरान करने वाला है मौत का कारण. आइये जानते हैं क्या है हृदय गति रुकना, कैसे हो सकता है ईलाज. क्या सावधानी बरतनी चाहिए.

कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में फर्क है
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को लेकर भ्रम है. लोग इन दोनों में फर्क नहीं समझ पाते. कार्डियक अरेस्ट (हृदय गति रुकना) और हार्ट अटैक (दिल का दौरा) में फर्क है. कार्डियक अरेस्ट में हार्ट अचानक ही ब्लड का सर्कुलेशन बंद कर देता है. सांस लेने में दिक्कत होती है. जिसे कार्डियक अरेस्ट आता है वह इंसान बेहोश हो जाता है. सही समय पर ईलाज ना हो तो इंसान की मौत हो जाती है. इलेक्ट्रिक कंडक्टिंग सिस्टम फेल हो जाता है. धड़कन अनियमित हो जाती है और यह ज्यादा तेज हो जाता है. इसे तकनीकी तौर पर वेंट्रीकुलर फिब्रिलेशन का नाम दिया गया है. इसके बाद दिल धड़कना बंद कर देता. दिमाग को रक्त का बहाव बंद हो जाता है. कार्डियक अरेस्ट दिल के दौरे की तरह नहीं होता, लेकिन यह हार्ट अटैक की वजह हो सकता है. ज्यादातर मामलों में पहले दस मिनट में कार्डियक अरेस्ट को ठीक किया जा सकता है. दिल और सांस रुक जाने के बावजूद दिमाग जिंदा होता है.

कैसे बच सकती है जान
अगर आपके सामने किसी को कार्डियक अरेस्ट आ जाता है, तो वक्त का ध्यान रखें एक मिनट के साथ बचने की संभावना 10 प्रतिशत कम हो जाती है. CPR का मतलब Cardiopulmonary Resuscitation (रिससिएशन कार्डियोपल्मोनरी ) होता है. इस प्रकिरिया को संजीवनी क्रिया कहा जाता है.

क्या करें

मरीज के कपड़ो को ढीला कर दें. पहले से ही दिल की समस्या है और कोई दवा लेते हैं तो उन्हें दवा दें.

1 ) मुँह द्वारे साँस देना
2 ) छाती को दबाना

दरअसल सीआरपी में हम हम श्वसन क्रिया और रक्तभिसरण क्रिया को हम जारी रखते है. यदि मरीज को सांस नहीं ले पा रहा है तो उसे कृतिम साँस दें.

  • सबसे पहले मरीज को किसी ठोस जगह पर लिटा दे . उसकी नाक और गाला चेक करे कही कुछ अटक तो नहीं गया है.

  • सीपीआर की दो प्रकियाएं है.

    हतेली से छाती पर दबाव डालना और मुह से कृत्रिम सांस देना शुरू करें

  • पेशंट के सीने के बीचोबीच हथेली रखकर पंपिंग करते हुए दबाए. । एक से दो बार ऐसा करने से धड़कने फिर से शुरू हो जाएगी.

  • पम्पिंग करते वक़्त दूसरे हाथ को पहले हाथ के ऊपर रख कर उंगलियो से बांध ले अपने हाथ और कोहनी को सीधा रखे।

  • अगर पम्पिंग करते वक़्त धड़कने शुरू नहीं हो रही तो पम्पिंग के साथ मरीज को कृत्रिम सांस देने की कोशिस करे।

  • हथेली से छाती को 1 -2 इंच दबाए ऐसा प्रति मिनट में 100 बार करे।

  • 30 बार छाती पर दबाव बनाए और दो बार कृत्रिम साँस दे।

  • छाती पर दबाव और कृतिम साँस देने का Ratio 30 :02 का होना चाहिए।

कैसे दे कृत्रिम सांस ?

  • मरीज की नाक को दो उंगलियो से दबाकर मुह से साँस दे। नाक बंद होगी तो मुंह से की गई सांस फेफड़ो तक पहुचती है।

  • लंबी साँस लेकर मरीज के मुह से मुह चिपकाए और धीर धीरे साँस छोड़े।

  • ऐसा करने से मरीज से फेफड़ो में हवा भर जाती है.

  • जब आप कृत्रिम साँस दे रहे हो तो ध्यान रखे की मरीज की छाती ऊपर निचे हो रही है या नहीं.

गंभीर है बीमारी

एक आकड़े के अनुसार हर साल 2,40,000 लोग हार्ट अटैक से मर जाते हैं. देश की 20 प्रतिशत जनता ‘हैंड्स ओनली सीपीआर’ तकनीक सीख ले तो 50 फीसद लोगों की जान बचायी जा सकती है. जैसा की हमने आपको ऊपर इसके बारे में पूरी जानकारी दी है इसे आसानी से सीखा जा सकता है. इसे 10 मिनट के भीतर अपनाएं और एंबुलेंस आने तक या व्यक्ति के होश में आने तक इसे जारी रखें.

किन चीजों पर रखें ध्यान, चेतावनी कैसे समझें
30 साल की उम्र के बाद एसिडिटी या अस्थमा के दौरे संकेत हैं . 30 सेकंड से ज्यादा छाती में होने वाला दर्द, छाती के बीचोंबीच भारीपन, हल्की जकड़न या जलन, थकावट के समय जबड़े में होने वाला दर्द, सुबह छाती में होने वाली बेचैनी, थकावट के समय सांस के फूलना, छाती से बाईं बाजू और पीठ की ओर जाने वाले दर्द, बिना वजह आने वाले पसीने और थकावट. इन गंभीर संकेतों को समझें और ध्यान रखें.

Prabhat Khabar Digital Desk
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