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Toilet Ek Prem Katha : अभिनेता – अभिनेत्री के बीच कोई शख्स नहीं बल्कि टॉयलेट है विलेन

हिंदी फिल्मों के गाने विदेश में शूट होते आये हैं. मनोरम पहाड़ी दृश्यों के बीच अपने प्रिय अभिनेता-अभिनेत्रियों के नाचते-गाते दृश्य लंबे वक्त तक दर्शकों के मन-मस्तिष्क में असर करते हैं. गानों के माध्यम से उनके मन में जो कल्पना का संसार गढ़ा जाता था, वह झील, समदंर, बगीचा, साफ-सुथरी सड़कें ही आती थीं. गाने […]

हिंदी फिल्मों के गाने विदेश में शूट होते आये हैं. मनोरम पहाड़ी दृश्यों के बीच अपने प्रिय अभिनेता-अभिनेत्रियों के नाचते-गाते दृश्य लंबे वक्त तक दर्शकों के मन-मस्तिष्क में असर करते हैं. गानों के माध्यम से उनके मन में जो कल्पना का संसार गढ़ा जाता था, वह झील, समदंर, बगीचा, साफ-सुथरी सड़कें ही आती थीं. गाने और फिल्म खत्म होते ही उनका सामना हकीकत की जिंदगी से होता था. सिनेमा हॉल से निकलते ही गंदी सड़कें और बदबूदार नालियों से उनका सामना होता था. कल जब ‘टॉयलेट : एक प्रेम कथा’ का ट्रेलर रिलीज हुआ, तो ट्विटर में यह टॉप ट्रेंड्स में शामिल था. लोग कहने लगे कि बॉलीवुड भी अब थोड़ा-थोड़ा वास्तविक जीवन के करीब होने लगा है. ध्यान देने वाली बात यह है कि यह कोई एेड या कैंपेन फिल्म नहीं, बल्कि फीचर फिल्म है.

क्या ‘स्वच्छता’ भारत के लिए मुद्दा बन चुका है?
प्रधानमंत्री के इस अभियान का धीरे-धीरे असर दिख रहा है. भले ही भारत अचानक से साफ नहीं हो सकता, लेकिन इस तरह की फिल्में एक माहौल तैयार करती हैं और लोग उस मुद्दे पर गंभीरता से सोचना शुरू करते हैं. संभव हो यह फिल्म आने वाले दिनों में एक नजीर पेश करे कि कैसे किसी सकारात्मक संदेश को फिल्मों से जोड़ा जा सकता है.
क्या है फिल्म में
‘टॉयलेट : एक प्रेम कथा’ एक कॉमेडी फिल्म है. यह फिल्म प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान पर अधारित है. इस अभियान की घोषणा के साथ ही अखबारों में कई खबरें भी आयीं. इन खबरों में जिन्होंने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं, वे उन लड़कियों के बारे में थीं, जिन्होंने अपने ससुराल जाने से इसलिए मना कर दिया, क्योंकि वहां शौचालय नहीं था. विगत वर्षों में एेसी हिम्मत दिखानेवाली कर्इ लड़कियां सामने आयीं. बहरहाल, अमूमन एेसा देखा जाता है कि अभिनेता-अभिनेत्री के बीच प्रेम संबंधों के बीच विलेन आड़े आता है, यह विलेन कोई इंसान होता है. लेकिन यहां एक अदद टॉयलेट की कमी दोनों की जिंदगी में विलेन बन कर आयी है. क्या यह जरूरी है कि हर वक्त प्रेमी और प्रेमिका के बीच विलेन इंसान ही हो? कई बार किसी खास चीज की कमी, परिस्थितियां भी दुश्मन बनकर आती हैं.
कब तक वास्तविक मुद्दों से भागती रहेंगी फिल्में
रोजमर्रे के जीवन में एक आम भारतीय को अलग-अलग चीजों से संघर्ष करना पड़ता है. बस और ट्रेनों के पीछे भागते लोग, बीमार लोगों के इलाज के लिए अस्पताल के बाहर खड़ा शख्स, रोजगार के लिए चिंतित युवा, आत्महत्या करते किसान कई मुद्दे हैं, जो बॉलीवुड की रडार से हमेशा दूर रहे हैं. पिछले दिनों हिंदी मीडियम रिलीज हुई. यह फिल्म भी बदलते बॉलीवुड की निशानी है.

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