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Chhath movie:निर्देशक नितिन चंद्रा ने भोजपुरी फिल्म छठ को किया स्वर्गीय शारदा सिन्हा को समर्पित

निर्देशक नितिन चंद्रा ने इस इंटरव्यू में अपनी हालिया रिलीज भोजपुरी फिल्म छठ के साथ -साथ किया स्वर्गीय शारदा सिन्हा से अपने जुड़ाव पर भी बात .

chhath movie:आस्था के महापर्व छठ पूजा पर हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करने वाले अवॉर्ड विनिंग निर्देशक नितिन चंद्रा इस बार ढाई घंटे की फिल्म ‘छठ’ लेकर आये हैं. ‘छठ’ शीर्षक वाली यह फिल्म 24 अक्तूबर से ओटीटी प्लेटफॉर्म वेव्स पर स्ट्रीम हो रही है. फिल्म की मेकिंग और उससे जुड़े अन्य पहलुओं पर नितिन चंद्रा से उर्मिला कोरी की बातचीत के प्रमुख अंश.

बिहार कोकिला शारदा दीदी को समर्पित है छठ फिल्म

फिल्म की कहानी मैंने साल 2022 में लिखनी शुरू की थी. कहानी छठ पूजा के दौरान एक परिवार के भीतर किसी बात को लेकर उत्पन्न मतभेद और उसके भावनात्मक उतार-चढ़ाव की गाथा है. कहानी तो लिखी जा चुकी थी, पर फिल्म बनाने का नहीं सोचा था. हालांकि, पिछले साल शारदा दी का निधन हुआ, तो मन में भाव जागा कि इस कहानी को पर्दे पर उतारूं और इसे शारदा दीदी को समर्पित करूं.शारदा दीदी से बहुत ही प्यारा रिश्ता था. हमारे छठ वीडियो की शुरुआत उन्हीं के गानों से हुई थी.मेरी ख्वाहिश शारदा दीदी की बायोपिक बनाने की थी. फिल्म की लंबाई दो घंटे पंद्रह मिनट है. इसमें कोशिश की गयी है कि भोजपुरी भाषा में संयुक्त परिवारों के मूल्यों, परंपराओं और भावनाओं पर बात की जाये. कहानी में भोजपुरी की मिठास के साथ-साथ पारिवारिक रिश्तों की जड़ों से जुड़ी सोच को एक सूत्र में पिरोया गया है. यह कहानी न केवल त्योहार की पवित्रता और आस्था को जीवंत करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि परिवार के भीतर के मतभेद कैसे प्रेम और समझ के आगे गौण हो जाते हैं. यह ऐसी कथा है जो हर दर्शक को अपने घर, अपने रिश्तों और अपनी यादों से जोड़ देगी. जब दर्शक इस फिल्म को देखेंगे, तो उन्हें महसूस होगा कि यह केवल किसी एक परिवार की नहीं, बल्कि हर उस घर की कहानी है जहां लोग मिलकर जीवन के उत्सव को जीते हैं.

20 से 25 लोगों के आर्थिक सहयोग से बनी है फिल्म

मैंने साल 2022 में सुनिधि चौहान के साथ छठ पर एक वीडियो बनाया था, जिसमें नीतू चंद्रा जी थीं. उसके बाद मैंने थोड़ा ब्रेक ले लिया, क्योंकि भोजपुरी सिनेमा का जो मौजूदा बाजार है, वह अश्लीलता, दोहरे अर्थ वाले गीतों, नाच-गाने और बेहद निम्न स्तर के कंटेंट से भरा हुआ है. इस तरह का सिनेमा आर्थिक रूप से कमजोर दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है और अंततः वही लोग इसके शिकार बनते हैं. मेरा उद्देश्य भोजपुरी भाषी समाज के आर्थिक या मानसिक शोषण का हिस्सा बनना नहीं है. मेरा लक्ष्य भोजपुरी में ऐसे काम करना है, जो शिक्षित और मध्यमवर्गीय समाज को संबोधित करे. लेकिन यही वर्ग धीरे-धीरे अपनी मातृभाषा से दूर होता जा रहा है. इसी वजह से प्रायोजक या निवेशक मेरे काम में अधिक लाभ नहीं देखते, क्योंकि इसमें न तो अश्लीलता है और न ही फूहड़ता. यही कारण था कि मैंने कुछ समय के लिए छठ से जुड़ी वीडियो बनाना बंद कर दिया था, लेकिन इस वर्ष मैंने बहुत मेहनत की और लगभग 20 से 25 अलग-अलग लोगों के सहयोग से यह फिल्म बनायी, शारदा दीदी को श्रद्धांजलि देने के लिए. स्पॉन्सरशिप हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है, क्योंकि जिस स्तर का काम हम कर रहे हैं, उस स्तर का काम फिलहाल भारत में कोई नहीं कर रहा. मगर मेरा मानना है कि अगर थोड़ी चुनौती न हो, तो न मजा है और न ही संतोष.

जून माह की भीषण गर्मी में हुई है शूटिंग

इस फिल्म की शूटिंग के दौरान भीषण गर्मी थी. कलाकार भी इंसान हैं. कुछ लोग गर्मी बर्दाश्त कर पा रहे थे, तो कुछ उमस और तपिश के कारण काफी परेशान हो रहे थे. लेकिन पूरी टीम इस फिल्म की कहानी को लेकर इतनी उत्साहित थी कि शूटिंग के 15 दिन कब बीत गये, पता ही नहीं चला. यह फिल्म छठ पूजा पर आधारित है, लेकिन इसकी शूटिंग जून में हुई थी, इसलिए उस दौरान किसी ने व्रत नहीं रखा था. हालांकि, हमने शूटिंग के समय नॉन-वेज खाना पूरी तरह बंद कर दिया था और जहां पूजा से जुड़ी शूटिंग होती थी, वहां चप्पल या जूते पहनकर कोई नहीं जाता था.

बिहार के स्थानीय लोग भी इस फिल्म का बड़ा हिस्सा

अपनी फिल्मों में मैं हमेशा सिर्फ बिहार की कहानी ही नहीं दिखाता, बल्कि शूटिंग से लेकर लोकल लोगों तक को जोड़ने की कोशिश करता आया हूं. फिल्म ‘छठ’ भी इससे अलग नहीं रही. इस फिल्म में सिर्फ एक ही कलाकार बिहार से बाहर का था, जबकि मुख्य कलाकारों में चार लोग मूलतः बिहार के हैं, जो मुंबई में रहते हैं, उन्हें भी मैं लेकर गया था. इसके अलावा 20 से 25 कलाकार पूरी तरह लोकल हैं और लाइट, कैमरामैन, आर्ट डायरेक्टर सब बिहार से ही हैं. हमारी यही कोशिश रहती है कि लोकल लोगों को काम मिले. करीब 100 लोग समस्तीपुर में हमारी फिल्म में अलग-अलग कामों पर लगे हुए थे.

कैलाश खेर जी के साथ रहा अनूठा अनुभव

हमने अपने छठ गीतों में पहले भी सुनिधि चौहान, अलका याग्निक जैसे कई बॉलीवुड प्लेबैक सिंगर्स को जोड़ा है. इस बार छठ गीत के लिए कैलाश खेर जी को हमारे साथ जोड़ा गया. कैलाश जी ने बड़ी विनम्रता और सहजता के साथ हमें यह मौका दिया कि वे हमारी फिल्म में गा सकें. वे मंझे हुए कलाकार हैं और उनके साथ काम करना एक बहुत ही अच्छा अनुभव रहा

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 14 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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